Shiv Tandav Stotram Benefits: हिंदू धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है. यही वजह है कि वे देवाधिदेव महादेव कहलाते हैं। वे कालों के भी काल महाकाल हैं. इनकी कृपा से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है. भगवान शिव को मनुष्य तो क्या देवी-देवता, सुर-असुर, सभी पूजते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण भी महादेव का बड़ा भक्त था. रावण ने ही तांडव स्तोत्र की रचना की है. इस स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक से भगवान शिव की स्तुति गाई है. शिव पुराण के अनुसार, एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश को उठाने का प्रयत्न किया. इसके बाद शिव जी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया, जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया. तब पीड़ा में रावण ने भगवान शिव की स्तुति की. रावण द्वारा गाई गई, यही स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है. मान्यता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है. तो चलिए जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र के फायदे और पाठ करने की विधि.
यह भी पढ़ें: Vasudev Dwadashi 2022 Mantra: वासुदेव द्वादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप, हर बाधा का होगा नाश
शिव तांडव स्तोत्र के फायदे
मान्यता है कि नियमित रूप से शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है. इस पाठ को करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है.
धार्मिक मान्यता है कि शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. महादेव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं. ऐसे में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है.
इसके अलावा जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो, उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. साथ ही शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शनि दोष को कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है.
यह भी पढ़ें: Negative Effect Of Things Keeping On Your Head: सोते वक्त सिराहने रखीं ये चीजें उड़ा देंगी हमेशा के लिए आपकी नींद, दर दर भटकने की आ जाएगी नौबत
शिव तांडव स्तोत्र की विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रातः काल या प्रदोष काल में ही करना चाहिए. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
फिर भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें और धूप, दीप और नैवेद्य से उनका पूजन करें. मान्यता है कि रावण ने पीड़ा के कारण इस स्तोत्र को बहुत तेज स्वर में गाया था. इसलिए आप भी गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें.
कहा जाता है कि नृत्य के साथ इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन तांडव नृत्य केवल पुरूषों को ही करना चाहिए। वहीं पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें.