Shiv Parvati Vivah Katha: भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा हिंदू धर्म में अद्वितीय प्रेम, तपस्या और समर्पण का प्रतीक है. पौराणिक ग्रंथों शिव पुराण, स्कंद पुराण और वाल्मीकि रामायण में माता पार्वती की घोर तपस्या और भगवान शिव को प्रसन्न करने की कथा है. माता पार्वती का जन्म राजा हिमावंत और रानी मैना के घर हुआ था. वे पूर्व जन्म में सती थीं, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं और शिवजी की अर्धांगिनी थीं. परंतु, दक्ष द्वारा शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण माता सती ने यज्ञ में स्वयं को भस्म कर लिया था. अगले जन्म में, वे पार्वती के रूप में प्रकट हुईं और शिव से पुनः विवाह करने का संकल्प लिया.
पार्वती की कठोर तपस्या
माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की इच्छा रखती थीं. देवर्षि नारद ने उन्हें बताया कि शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें कठोर तपस्या करनी होगी. इसके बाद माता पार्वती ने जंगलों में जाकर कठिन तपस्या की. उन्होंने कई वर्षों तक घने जंगलों में रहकर तप किया. प्रारंभ में वे फल-फूल खाकर रहीं, फिर केवल सूखे पत्तों पर, और अंत में अन्न-जल का भी त्याग कर दिया. माता ने वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर ध्यान लगाया और "ॐ नमः शिवाय" का जाप किया. उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि देवताओं तक को चिंता होने लगी. तब नारद ऋषि और अन्य देवगण भगवान शिव के पास गए और उनसे माता पार्वती की तपस्या पर ध्यान देने का अनुरोध किया.
शिव का परीक्षा लेना और विवाह
भगवान शिव माता पार्वती की भक्ति की परीक्षा लेना चाहते थे. उन्होंने एक ब्राह्मण के रूप में माता पार्वती के सामने आकर शिवजी की निंदा करनी शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि शिवजी औघड़, विरक्त, गृहस्थ जीवन के अयोग्य और श्मशान में रहने वाले हैं. माता पार्वती ने इस पर क्रोधित होकर कहा कि वे संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं और उनके अलावा कोई योग्य वर नहीं है. इस अटूट प्रेम और भक्ति को देखकर शिवजी प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक रूप में प्रकट होकर माता पार्वती को विवाह का प्रस्ताव दिया.
शिव-पार्वती विवाह
भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह अत्यंत भव्य रूप से राजा हिमालय के महल में संपन्न हुआ. इसमें ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र सहित समस्त देवता, ऋषि-मुनि और गंधर्व उपस्थित हुए. शिवजी ने बारात में भूत-प्रेतों को भी शामिल किया, जिससे देवी पार्वती की माता चिंतित हो गईं. लेकिन विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ और माता पार्वती को शिवजी का साथ प्राप्त हुआ.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)