Sheetala Ashtami 2019: यहां जानिए शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में

होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इस बार यह अष्टमी 28 मार्च को है. कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बासौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.

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Drigraj Madheshia
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Sheetala Ashtami 2019: यहां जानिए शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में

शीतला माता

होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इस बार यह अष्टमी 28 मार्च को है. कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बासौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता. ये अष्टमी ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है. इस बदलाव से बचने के लिए साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है. माना जाता है कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाता. इस अष्टमी को अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है. गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इसे शीतला अष्टमी कहा जाता है. इसे बसौड़ा, बसोरा और शीतलाष्टमी भी कहा जाता है.यहां जानिए शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में.

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शीतला माता व्रत की कथा

किसी गांव में एक महिला रहती थी. वह शीतला माता की भक्त थी तथा शीतला माता का व्रत करती थी. उसके गांव में और कोई भी शीतला माता की पूजा नहीं करता था. एक दिन उस गांव में किसी कारण से आग लग गई. उस आग में गांव की सभी झोपडिय़ां जल गई, लेकिन उस औरत की झोपड़ी सही-सलामत रही. सब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं. इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है. यह सुनकर गांव के अन्य लोग भी शीतला माता की पूजा करने लगे.

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त

28 मार्च सुबह 06:27 से शाम 18:37

शीतला माता का रूप

शीतला माता को चेचक जैसे रोग की देवी माना जाता है. यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.

व्रत कैसे करें

  • व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर नहा लें. इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प कर लें.
  • संकल्प करने के बाद विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से शीतला माता की पूजा करें.
  • इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) चीजों जैसे मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं.
  • इसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला माता व्रत की कथा सुनें. फिर रात में जगराता करें और दीपक लगाएं.

Source : News Nation Bureau

Basoda Katha puja shubh muhurat Sheetala Ashtami
      
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