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Shardiya Navratri celebrated first time in Kashi Vishwanath Dham
Kashi Vishwanath Dham: इस बार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं और भगवान शिव की नगरी काशी में इसका विशेष उत्साह देखने को मिलेगा. पहली बार काशी विश्वनाथ मंदिर में नौ दिनों तक अलग-अलग देवी स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी. मंदिर प्रशासन शारदीय नवरात्रि को लेकर विशेष तैयारियों में जुटा हुआ है. काशी विश्वनाथ धाम में माता गर्भगृह में विराजमान होंगी, और मंदिर परिसर में कलश स्थापना के साथ ही रामलीला और देवी की विभिन्न लीलाओं का मंचन भी होगा.
भक्तों को नवरात्रि के दौरान विशेष दर्शन
काशी विश्वनाथ मंदिर में माता के भक्त गर्भगृह में 9 दिनों तक माता के विभिन्न स्वरूपों का पूजन और दर्शन कर सकेंगे. यह पहला अवसर होगा जब काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान विश्वनाथ के साथ माता पार्वती के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन नवरात्रि के दौरान होते रहेंगे. मंदिर परिसर में विधिपूर्वक कलश की स्थापना की जाएगी और 9 दिनों तक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग में कलश स्थापना
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से कलश की स्थापना होगी. इसके साथ ही रोजाना देवी की आराधना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इन कार्यक्रमों में बनारस के लोकगीत ‘पचरा’, बंगाली लोक नृत्य ‘धनुची’, महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य, और रामायण के प्रमुख किरदारों के मंचन शामिल होंगे.
रामलीला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन
- पहले दिन शाम को मंदिर के चौक परिसर में भजन और लोकगीत कार्यक्रम होगा.
- दूसरे दिन रामलीला का मंचन किया जाएगा
- तीसरे दिन रावण वध का दृश्य प्रस्तुत होगा. इसके बाद मंदिर परिसर में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
- चौथे दिन बंगाली लोक नृत्य
- पांचवें दिन ललिता सहस्रनाम स्त्रोत की प्रस्तुति के साथ 51 शक्तिपीठों को प्रतिबिंबित करती 51 मातृ शक्तियों का आयोजन होगा.
- छठे दिन महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य,
- सातवें दिन देवी भजन
- आठवें दिन देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन करवाए जाएंगे.
- नौवें दिन प्रातः काल हवन पूजन के साथ भजन संध्या का आयोजन होगा.
काशी विश्वनाथ धाम में इतिहास की नई परंपरा
इतिहास में पहली बार काशी विश्वनाथ धाम में शारदीय नवरात्रि महोत्सव का आयोजन हो रहा है. इस दौरान जहां बाबा विश्वनाथ मंदिर में कलश स्थापना होगी, वहीं मंदिर प्रांगण में रामलीला के साथ बंगाली लोक नृत्य, ललिता सहस्रनाम स्त्रोत और अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी.
रिपोर्ट: सुशांत मुखर्जी
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)