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Shardiya Navratri 2023 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, चमक जाएगा भाग्य

Shardiya Navratri 2023 Day 2: 16 अक्टूबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, शुभ मूहुर्त, मंत्र और भोग के बारे में.

Updated on: 16 Oct 2023, 06:45 PM

नई दिल्ली :

Shardiya Navratri 2023 Day 2: 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इस त्योहार का प्रत्येक दिन एक अलग महत्व रखता है और मां दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित है. 15 अक्टूबर 2023 को भक्तों ने मां शैलपुत्री की पूजा की, और अब  16 अक्टूबर को नवरात्रि के दूसरे दिन, वे मां  ब्रह्मचारिणी की पूजा करेंगे. नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जातक को धन-धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि, शुभ मूहुर्त, मंत्र और भोग के बारे में. 

मां ब्रह्मचारिणी का भोग

नवरात्रि के तीसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री, दूध या दूध से बनी चीजें का भोग लगाएं. मान्यता है कि देवी को चीनी और मिश्री काफी पसंद है ऐसे में मां ब्रह्मचारिणी को इन चीजों का भोग लगाने से देवी ब्रह्मचारिणी बेहद प्रसन्न हो जाएंगी।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि 

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भगवान शिव के साथ की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प भी प्राप्त हो सकता है. पूजा के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके सफेद वस्त्र धारण करें. उसके बाद  मां ब्रह्मचारिणी का स्मरण करें. फिर देवी को पंचामृत से स्नान कराएं और मां को सफेद या पीले वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन, फूल आदि चढ़ाएं. इस बात का ध्यान रखें कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या लाल रंग के फूल का ही इस्तेमाल करें. उसके बाद उनके मंत्रों का जाप करें. फिर दीप-धूप से आरती करें और भोग लगाएं. 

मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप

मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप माला यानी की रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है. रुद्राक्ष माला उनके वन जीवन के दौरान शिव के लिए उनकी तपस्या का प्रतिनिधित्व करती है.  कमंडल, एक पानी का बर्तन, उनकी तपस्या के अंतिम वर्षों का प्रतीक है. देवी के शरीर से जुड़े कमल ज्ञान का प्रतीक हैं, और सफेद साड़ी पवित्रता का प्रतिनिधित्व करती है. बता दें कि मां बह्मचारिणी पवित्रता, शांति, तप और शुद्ध आचरण का प्रतीक मानी जाती हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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