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महानवमी पर मां सिद्धिदात्री के कथा श्रवण के साथ जरूर करें कन्या पूजन, सात्विक विद्याओं का होने लगेगा शरीर में संचार

Shardiya Navratri 2022 Day 9 Maa Siddhidatri Katha aur Kanya Pujan: मान्यता है कि महावनवमी के दिन विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से रोग शोक से मुक्ति मिलती है और समस्त कष्टों का निवारण होता है. देवीपुराण में वर्णित एक श्लोक के अनु

Updated on: 04 Oct 2022, 08:00 AM

नई दिल्ली:

Shardiya Navratri 2022 Day 9 Maa Siddhidatri Katha aur Kanya Pujan: आज यानी 4 सितंबर, दिन मंगलवार को महानवमी (Navratri Mahanavami 2022) मनाई जा रही है. इस दिन मां भगवती के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है.  मान्यता है कि महावनवमी के दिन विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से रोग शोक से मुक्ति मिलती है और समस्त कष्टों का निवारण होता है. देवीपुराण में वर्णित एक श्लोक के अनुसार, स्वयं भोलेनाथ ने भी मां सिद्धिदात्री की अराधना कर सिद्धियों को प्राप्त किया था. ऐसे में चलिए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की कथा और महानवमी के दिन कन्या पूजन के बारे में.

मां सिद्धिदात्री की कथा (Maa Siddhidatri Katha) 
पौराणक कथाओं के अनुसार जब पूरे ब्रम्हांड पर चारो ओर अंधकार हो गया था और रोशनी का कोई संकेत नहीं था, तब उस अंधकार से भरे ब्रह्मांड में ऊर्जा का एक छोटा से किरण प्रकट हुआ. धीरे धीरे इस किरण ने बड़ा आकार लिया. अंत में इसने एक दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया. ये देवी भगवती का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री का था.

माता ने प्रकट होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जन्म दिया. पुराणों के अनुसार भगवान शिव शंकर ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों को प्राप्त किया था. सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण से उन्हें अर्धनरेश्वरी नाम से भी पुकारा जाता है. 

इस दिन देवी का पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होता है. देवी के इस रूप की पूजा व्यक्ति को अमृत मार्ग की ओर ले जाने का काम करता है. नवमी के दिन भक्त माता की पूजा अर्चना करने के बाद कन्या भोजन कराते हैं. ऐसी मान्यता है, कि कन्या भोजन कराने से ही माता पूजा को ग्रहण करती है. 

महानवमी 2022 कन्या पूजन (Mahanavami Kanya Pujan) 
नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करने का विधान है. माना जाता है कि हवन करने के बाद ही पूजा का पूर्ण फल मिलता है. इसलिए इस दिन मां दुर्गा और कलश की विधिवत तरीके से पूजा करने के हवन जरूर करें. 

इसके अलावा, अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की भी परंपरा है. अगर आपने अष्टमी के दिन कन्या पूजन नहीं किया है तो आज 2 से 10 साल की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित कर लें और उसे भोजन कराने के बाद दक्षिण आदि देकर विदा करें.