logo-image

Shardiya Navratri 2022 Day 1 Maa Shailputri Mantra, Stotra, Kavach: मां शैलपुत्री के इन मंत्रों से दूर होगी जीवन की हर बाधा, सुख- समृद्धि और शान्ति का होगा अनंत वास

Shardiya Navratri 2022 Day 1 Maa Shailputri Mantra, Stotra, Kavach: मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त मां शैलपुत्री की पूजा करते समय उनके गूढ़ मंत्रों का जाप करता है उसके जीवन में हमेशा सुख, समृद्धि और शान्ति का वास बना रहता है.

Updated on: 26 Sep 2022, 09:26 AM

नई दिल्ली :

Shardiya Navratri 2022 Day 1 Maa Shailputri Mantra, Stotra, Kavach: नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. मार्केण्डय पुराण के अनुसार मां शैलपुत्री पर्वतराज यानी शैलराज हिमालय की पुत्री हैं. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने की वजह से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा. मां शैलपुत्री को हेमवती के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है. इसके अतिरक्त, बैल वाहन होने के कारण मां का एक नाम वृषारूढ़ा भी है. मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत कोमल और शांत है. मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त मां शैलपुत्री की पूजा करते समय उनके गूढ़ मंत्रों का जाप करता है उसके जीवन में हमेशा सुख, समृद्धि और शान्ति का वास बना रहता है. ऐसे में आइए जानते हैं मां शैलपुत्री के दिव्य और गूढ़ मंत्रों के बारे में. 

यह भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2022 Day 1 Maa Shailputri Katha aur Mahatva: मां शैलपुत्री की कथा श्रवण से बनने लग जाएंगे आपके सभी अटके काम, रुका हुआ धन भी आएगा वापस

मां शैलपुत्री के मंत्र (Mantra Of Maa Shailputri)
- बीज मंत्र 
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

- स्तुति मंत्र 
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

- ध्यान मंत्र 
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

यह भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2022 Day 1 Maa Shailputri Swaroop aur Puja Vidhi: आज से हुआ नवरात्रि का शुभारंभ, घटस्थापना के साथ करें मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा

- कवच मंत्र 
ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

- स्तोत्र 
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥