Shankaracharya Hill: शंकराचार्य पहाड़ी रेंज का इतिहास एक अद्वितीय सागर है, जिसमें प्राचीन सभ्यताओं की खोज, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का आत्मगाथा, राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घटनाएं और आधुनिक पर्यटन का एक सुंदर चित्र चित्रित हैं. इस क्षेत्र के माघोंवान, लोभानी, और हरप्पा जैसे प्राचीन स्थल इसके ऐतिहासिक मूल्य को बढ़ाते हैं, जबकि बद्रिनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को संजीवनी देते हैं. इसके साथ ही, यह एक पर्यावरण संरक्षण केंद्र भी है, जहां वन्यजीवन और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कई पहलूओं में सक्रिय है
प्राचीन इतिहास:
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. इस क्षेत्र में प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिलते हैं, जैसे कि माघोंवान, लोभानी, और हरप्पा. यहां के शिलालेख, गुफाएं, और आधुनिक अवशेष इस क्षेत्र के प्राचीनतम ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमुख साक्षी हैं.
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर:
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय स्थल है. यहां पर संस्कृत, पालि, और तिब्बती बौद्ध मठों के महत्वपूर्ण साक्षात्कार हैं, जैसे कि बद्रिनाथ, केदारनाथ, और अमरनाथ जैसे तीर्थ स्थल.
राजनीतिक इतिहास:
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज का इतिहास राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. इस क्षेत्र में कई विभिन्न राजाओं और साम्राज्यों का अधिकार रहा है, जैसे कि कश्मीर राजा, काँगड़ा राजा, और चम्बा राज्य.
पर्यटन और आधुनिकता:
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज आधुनिक पर्यटन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां पर पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, स्कीइंग, और पर्यटन के लिए अनेक सुरक्षित स्थल हैं. इसके अलावा, यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता, वन्यजीवन, और विविधता भी आकर्षक हैं.
संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण:
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज पर्यावरण संरक्षण और बायोडाइवर्सिटी के लिए भी महत्वपूर्ण है. यहां के वन्यजीवन, जलवायु, और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कई संरक्षण क्षेत्र हैं.
शंकराचार्य पहाड़ी रेंज का इतिहास व्यापक और सामृद्धिशील है, और इसकी प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर, राजनीतिक महत्व, और पर्यटन की संरचितता ने इसे दुनिया भर में एक लोकप्रिय गवाह बना दिया है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Read Also: Mahashivratri 2024: क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर कच्चा दूध, जानें इसके फायदें
Source : News Nation Bureau