Shani Pradosh Vrat 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि त्रयोदशी का व्रत संतान सुख पाने के लिए, किसी मनचाहे पद को प्राप्त करने के लिए, जीवन में सुख समृद्धि लाने के लिए रखा जाता है. इस दिन जातक भगवान शिव के साथ शनिदेव का आशीर्वाद भी साथ में पा सकते हैं. शाम के समय प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में विशेष पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत कथा पढ़ने के बाद आरती करते है और फिर समयानुसार व्रत का पारण भी किया जाता है. आज के दिन अगर आप अपने किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए विशेष पूजा करते हैं तो माना जाता है इस उसे पूरा होने में विघ्न नहीं आता. हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 की आखिरी त्रयोदशी तिथि कब प्रारंभ हो रही है और कब तक रहेगी आइए जानते हैं.
दिसम्बर 28, 2024, शनिवार के दिन देर रात 02:26 ए एम पर ये शुभ तिथि शुरू हो रही है जो दिसम्बर 29 को देर रात 03:32 ए एम तक रहेगी.
शनि प्रदोष व्रत पूजा समय
इस बार प्रदोष काल में पूजा के लिए 2 घंटे 44 मिनट का समय मिलेगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये शाम को 05 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा जो रात 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
शनि को न्याय, कर्म और धैर्य का देवता माना जाता है. मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत रखने से शनि की बुरी दृष्टि और शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है. जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो या जिन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव हो उन्हें इस दिन व्रत रखना चाहिए.
सुबह उठते ही सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनकर आप पूजा घर में आ जाएं. शनि प्रदोष व्रत के दिन संकल्प लें कि आप पूरे दिन उपवासी रहेंगे और शुद्ध चित्त से पूजा करेंगे. शनि के प्रतीक के रूप में लोहे या काले पत्थर की मूर्ति का पूजन अधिक शुभ माना जाता है. पूजा स्थान पर तेल का दीपक जलाएं. शनि देव की मूर्ति पर शुद्ध पानी और दूध का अभिषेक करें, इससे शनि देव की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन शनि देव की काले तिल, शहद और तिल के तेल से पूजा करें. उन्हें नीले फूल और काले कपड़े अर्पित करें.
प्रदोष व्रत का समय संध्या के समय होता है जो सूर्यास्त के बाद और रात्रि के भोजन से पहले का समय होता है. इस समय विशेष रूप से शनि देव की पूजा की जाती है. संतान सुख, धन लाभ और शनि के दोषों को दूर करने के लिए प्रदोष व्रत में विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए.
मंत्र जाप
- ॐ शं शनैश्चराय नमः
- ॐ प्रं प्रं शनैश्चराय नमः
- ॐ हं हं शनैश्चराय नमः
शनि प्रदोष व्रत में हनुमान चालीसा, शनि स्तोत्र या शनि व्रत कथा का पाठ भी कर सकते हैं. काले तिल के लड्डू या काले तिल का भोग शनि देव को अर्पित करें. व्रत के बाद भोग को ब्राह्मणों को वितरित करना शुभ माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन रात्रि को उपवासी रहना चाहिए और अगले दिन शुद्धता से व्रत का समापन करें. पूजा के बाद एक काले तिल का लड्डू या कोई अन्य पकवान गरीबों या ब्राह्मणों को दान करें. इसके बाद व्रत का समापन करें और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करें.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)