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Shaniwar Aarti: शनिदेव की आरती के साथ इस स्तुति और मंत्र का करें जाप, मिलेगा मनचाहा फल

Lord Shani Dev Aarti Lyrics: शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के बाद आपको ये आरती और शनि स्तोत्र जरूर पढ़ना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

Updated on: 27 Apr 2024, 11:53 AM

नई दिल्ली:

Lord Shani Dev Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित माना जाता है. इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. धा्र्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से और व्रत रखने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जातकों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में हैं तो ऐसे में उसे मजबूत करने के लिए कुछ उपायों को करने के साथ ही आपको शनिदेव की आरती स्त्रोत और मंत्रों का भी जाप जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहेगी और शनि दोष से भी छुटकारा मिलेगा. यहां पढ़ें शनिदेव की पूरी आरती, शनि स्त्रोत और मंत्र. 

शनिदेव  की आरती (Shani Dev Aarti Lyrics In Hindi)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

शनि स्तोत्र
 
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

शनिदेव के मंत्र (Shani Dev Mantra)

ॐ शं शनैश्चराय नमः

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)