Shaligram Puja With Tulasi Benefits: तुलसी के साथ शालिग्राम जी की इस तरह से की गई पूजा से भाग्य भी देने लगेगा साथ, भगवान विष्णु का मिलेगा भरपूर आशीर्वाद
शास्त्रों में शालीग्राम को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र भी इस बात की पुष्टि करता है कि अगर तुलसी पूजन के साथ साथ रोजाना नियमित रूप से शालिग्राम जी की भी पूजा अर्चना की जाए तो भाग्य साथ देने लगता है.
नई दिल्ली :
Shaligram Puja With Tulasi Benefits: शास्त्रों में शालीग्राम को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र भी इस बात की पुष्टि करता है कि अगर तुलसी पूजन के साथ साथ रोजाना नियमित रूप से शालिग्राम जी की भी पूजा अर्चना की जाए तो भाग्य साथ देने लगता है और मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. व्यक्ति की किस्मत बदल जाती है और वे जीवन में खूब तरक्की करता है. इसके अतिरिक्त और भी कई ऐसे लाभ हैं जो शालिग्राम जी की कृपा से व्यक्ति को प्राप्त होने लगते हैं. चलिए जानते हैं शालीग्राम की पूजा कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है.
शालिग्राम का दिव्य स्वरूप
शालीग्राम काले रंग के हैं. हिन्दू धर्म में, शालिग्राम पत्थर रूप में तुलसी माता के पति स्वरूप उनके साथ पूजे जाते हैं. इसी वजह से उन्हें तुलसी की जड़ के पास रखा जाता है. इन्हें नारायण यानी भगवान विष्णु का विग्रह रूप माना गया है.
नियमित पूजा से मिलता है ये फल
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे के साथ शालीग्राम की नियमित पूजा करने से धन की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
- मां लक्ष्मी उस घर में हमेशा के लिए निवास करती हैं, जहां तुलसी-शालीग्राम की पूजा की जाती है. ऐसे घर में दरिद्रता कभी वास नहीं करती.
- शालीग्राम जी का तुलसी माता के साथ विवाह हुआ था ऐसे में जो भी दम्पत्ति साथ में इनकी पूजा करते हैं उन्हेंसभी दुख, धन की कमी, क्लेश, कष्ट और रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
- शालिग्राम और तुलसी का जिस घर में वास होता है ऐसे घर में सुख-शांति का निवास रहता है.
शालिग्राम को स्थापित करने के नियम
- अगर आप शालीग्राम को तुलसी के साथ नहीं रखते हैं, तो इसे घर में किसी भी पवित्र स्थान पर स्थापित कर सकते हैं.
- अगर आप शालीग्राम की स्थापना करने की सोच रहे हैं, तो दीवाली के दिन इसकी स्थापना करना बेहद शुभ माना गया है.
- इसके अतिरिक्त किसी भी अच्छे और जानकार ज्योतिष से शुभ मुहूर्त निकलवा कर भी आप शालिग्राम की स्थापना कर सकते हैं.
- पहले विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए पंचामृत से शालीग्राम का स्नान करवाना चाहिए. इसके बाद भगवान का पंचोपचार पूजन करते हुए इसकी स्थापना करें.
- इस बात का भी ध्यान रखें कि घर में सिर्फ एक ही शालीग्राम की स्थापना करें.
- बिना तुलसी के शालीग्राम की पूजा भूलकर भी न करें.
- नियमित रूप से शालीग्राम को पंचामृत से स्नान कराएं.
- शालीग्राम की पूजा करने वाले लोग इस बात का ध्यान रखें कि वे मांस-मदिरा का सेवन न करें.
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