Shakambhari jayanti 2024: आज है शाकम्भरी जयंती, जानें इसका धार्मिक महत्व और पूजा के नियम

Shakambhari jayanti 2024: पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के दिन ही शाकम्भरी जयंती मनायी जाती है. देवी शाकंभरी को शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी भी कहा गया है.

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Inna Khosla
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Shakambhari jayanti 2024( Photo Credit : News Nation)

Shakambhari jayanti 2024: पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा के दिन ही शाकम्भरी जयंती मनायी जाती है. देवी शाकंभरी को शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी भी कहा गया है. शाकम्भरी देवी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं. शाकम्भरी देवी का मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है और वहां उनकी पूजा और अराधना की जाती है. शाकम्भरी देवी को आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो सदैव अपने भक्तों की कल्याण हेतु समर्पित रहती हैं. वे धर्म, शक्ति, और समृद्धि की देवी के रूप में पूजी की जाती हैं. उन्हें विभिन्न तरह की पूजाओं और उपासनाओं में समर्पित किया जाता है ताकि उनके भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति हो. शाकम्भरी देवी का नाम भी धार्मिक और आध्यात्मिक आचरण में महत्वपूर्ण है, और उन्हें उपासना में श्रद्धा और भक्ति से याद किया जाता है. शाकंभरी देवी की पूजा के नियम जानिये.

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शाकंभरी देवी की पूजा के नियम

शुद्धि और निर्मलता: पूजा करते समय अपने शरीर, मन, और आत्मा को शुद्ध और निर्मल रखने का प्रयास करें. निर्मल मन और भावनाओं के साथ पूजा करना शाकंभरी देवी की कृपा को आकर्षित करता है.

पूजा सामग्री: शाकंभरी देवी की पूजा के लिए उचित सामग्री का उपयोग करें, जैसे कि मूर्ति, माला, धूप, दीप, फूल, चादर, और नैवेद्य.

मंत्रों का जाप: शाकंभरी देवी के मंत्रों का नियमित जाप करें, जैसे कि "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं अं विजय सौंदर्य महा यक्षिण्यै नमः".

ध्यान और आराधना: पूजा करते समय शाकंभरी देवी के ध्यान में रहें और उनकी आराधना करें। इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है.

व्रत और उपवास: विशेष अवसरों पर शाकंभरी देवी के व्रत और उपवास का पालन करें, जैसे कि नवरात्रि या पूजा के दिन.

दान: पूजा के समय धन्य, वस्त्र, अन्न, और अन्य दान करें, जो भिक्षुकों और गरीबों को दें.

ये नियमों का पालन करते हुए शाकंभरी देवी की पूजा करने से भक्त की मनोबल और धार्मिकता में सुधार होता है, और उन्हें आत्मिक और ध्यानात्मक संबंध में उन्नति मिलती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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