Shabari Jayanti: कब है शबरी जयंती और क्या है इसका महत्व? पढ़ें पूरी खबर
Shabari Jayanti: शबरी जयंती भारतीय हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान राम की विशेष भक्त और शिष्यिका शबरी की स्मृति में मनाया जाता है. यह पर्व शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है, जो फाल्गुन माह में होती है
New Delhi:
Shabari Jayanti: शबरी जयंती भारतीय हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान राम की विशेष भक्त और शिष्यिका शबरी की स्मृति में मनाया जाता है. यह पर्व शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है, जो फाल्गुन माह में होती है. शबरी एक आदिवासी स्त्री थी जो महाराज दशरथ के आश्रम में आयी थी और भगवान राम की भक्ति में लीन थी. शबरी जी ने अपनी भक्ति और प्रेम के साथ भगवान राम को शबरी के आश्रम में स्वागत किया और उन्हें अपनी भोजन के लिए फलों का चयन करने के लिए कहा. उन्होंने भगवान राम को केवल मिठाई और अच्छे फलों के लिए ही रोका और कहा कि वह सभी फलों को पहले चख कर खाएं. इस सत्यवचन के कारण, भगवान राम ने उनके हाथ से चखे और उसी फलों को भोजन किया जो शबरी ने चखे थे. इस उत्सव को याद करते हुए, श्रद्धालु शबरी के भक्ति और प्रेम की याद में उनकी जयंती को मनाते हैं. इस दिन भक्त शबरी की पूजा करते हैं, उनके चरित्र और उनके भक्ति भाव की स्मृति में कथाएँ सुनते हैं, और उनके प्रभावी गुणों को अपने जीवन में अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं. इस दिन की महत्वपूर्ण परंपराओं में पूरे उत्साह और उत्सव के साथ शबरी जयंती का आयोजन किया जाता है.
शबरी जयंती 2024 में 3 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी. यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को पड़ती है. शबरी जयंती माता शबरी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जो भगवान राम की परम भक्त थीं. उनकी भक्ति और त्याग के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता है. शबरी जयंती के अवसर पर, भक्त माता शबरी की पूजा करते हैं, मंदिरों में जाते हैं, और भगवान राम और माता शबरी की कथाएं सुनते हैं. यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भक्ति, समर्पण और त्याग के महत्व को दर्शाता है.
शबरी और राम से जुड़ी 10 बड़ी बातें:
1. भक्ति और त्याग: शबरी भगवान राम की परम भक्त थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान राम की भक्ति में समर्पित कर दिया.
2. जूठे बेर: शबरी ने भगवान राम को अपने जूठे बेर खिलाए. भगवान राम ने उनका प्रेम और भक्ति स्वीकार किया और उनसे जूठे बेर खाए.
3. वनवास: जब भगवान राम वनवास में थे, तब शबरी उनसे मिलीं और उनसे भक्ति और त्याग का ज्ञान प्राप्त किया.
4. ऋषि मुनियों का आशीर्वाद: शबरी को ऋषि मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त था. उन्होंने शबरी को भगवान राम की भक्ति करने का आशीर्वाद दिया.
5. गरीब और आदिवासी: शबरी गरीब और आदिवासी थीं. लेकिन उनकी भक्ति और त्याग ने उन्हें भगवान राम के करीब ला दिया.
6. सामाजिक बुराइयों का विरोध: शबरी ने सामाजिक बुराइयों का विरोध किया. उन्होंने जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव का विरोध किया.
7. समानता का संदेश: शबरी ने समानता का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि सभी लोग भगवान के सामने समान हैं.
8. प्रेरणा का स्रोत: शबरी भक्ति, त्याग और समानता का प्रेरणा का स्रोत हैं.
9. मंदिर और स्मारक: शबरी के नाम पर कई मंदिर और स्मारक बनाए गए हैं.
10. लोकप्रिय कहानी: शबरी और राम की कहानी एक लोकप्रिय कहानी है. यह कहानी भक्ति, त्याग और समानता का संदेश देती है.
इन 10 बड़ी बातों के अलावा, शबरी और राम से जुड़ी कई अन्य बातें भी हैं.
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि भक्ति और त्याग से हम भगवान को प्राप्त कर सकते हैं.
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि सभी लोग भगवान के सामने समान हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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