Sea Curse: समुद्र का पानी खारा होने का क्या कारण है? जानें आखिर कहां से आया इतना नमक

Why the Sea is Salty: ये तो हम सभी जानते हैं कि धरती का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्रों और महासागरों से ढका हुआ है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि समुद्र का पानी खारा क्यों होता है?

Why the Sea is Salty: ये तो हम सभी जानते हैं कि धरती का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्रों और महासागरों से ढका हुआ है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि समुद्र का पानी खारा क्यों होता है?

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Sushma Pandey
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Hindu Mythology

Why the Sea is Salty: ये तो हम सभी जानते हैं कि धरती का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा समुद्रों और महासागरों से ढका हुआ है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि समुद्र का पानी खारा क्यों होता है? जी हां, इसका पानी इतना अधिक खारा होता है कि इसे कोई गलती से भी नहीं पी सकता.  इसे पीना संभव नहीं है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है.  भले ही इसका वैज्ञानिक कारण कुछ भी हों, लेकिन हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में समुद्र के पानी के खारा होने के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा है, जो शिव पुराण में वर्णित है.  इस कथा के अनुसार, समुद्र को माता पार्वती ने श्राप दिया था, जिसके कारण उसका पानी खारा हो गया.  यहां पढ़ें इसे जुड़ी रोचक पौराणिक कथा. 

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देवी सती का पुनर्जन्म

शिव पुराण के अनुसार, माता सती ने अपने अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया.  उनके इस अवतार को हम माता पार्वती के रूप में जानते हैं. पार्वती बचपन से ही अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और साहसी थीं. जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं.  तपस्या के दौरान माता पार्वती ने पहले अन्न का त्याग किया, फिर फलाहार पर आ गईं, और अंत में पेड़ों के पत्तों को भी छोड़ दिया.  इस कारण उन्हें अपर्णा नाम से भी जाना जाता है. 

समुद्र का माता पार्वती पर मोहित होना

माता पार्वती की तपस्या अत्यंत कठोर थी और उनके तप का असर उनके रूप और तेज पर स्पष्ट दिखता था. एक दिन समुद्र की नजर माता पार्वती पर पड़ी और वह उनपर मोहित हो गया.  समुद्र ने सोचा कि वह माता पार्वती के तपस्या समाप्त होने का इंतजार करेगा और फिर उनसे विवाह का प्रस्ताव रखेगा. 

समुद्र ने रखा विवाह का प्रस्ताव

जब माता पार्वती की तपस्या पूरी हुई तो समुद्र ने उनके सामने अपना परिचय देते हुए कहा - 'हे देवी! मैं समुद्र हूं और आपके रूप-लावण्य पर मोहित हूं.  मैं आपसे विवाह करना चाहता हूं.'  माता पार्वती ने विनम्रतापूर्वक यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा - 'हे समुद्र देव, मैं भगवान शिव से प्रेम करती हूं और उन्हें ही अपना पति मान चुकी हूं.'

समुद्र का अहंकार और भगवान शिव का अपमान

माता पार्वती का प्रस्ताव ठुकराना समुद्र को अपने सम्मान का अपमान लगा.   समुद्र ने माता पार्वती को प्रभावित करने के लिए अपनी प्रशंसा करनी शुरू कर दी.  समुद्र ने कहा - 'मैं मीठे पानी से लोगों की प्यास बुझाता हूं. मेरे अंदर लाखों जलीय जीव निवास करते हैं.  मैं अनगिनत मोती और कीमती रत्न देता हूं.'  लेकिन यहीं पर समुद्र ने गलती कर दी.  उसने भगवान शिव के बारे में अपशब्द बोलना शुरू कर दिया और कहा - 'भगवान शिव के पास आपको देने के लिए क्या है? वह तो श्मशान में रहने वाले, भस्म से लिपटे रहने वाले साधु हैं. आप उनके साथ जीवन कैसे बिता सकती हैं?'

माता पार्वती का क्रोध और श्राप

भगवान शिव के अपमान को सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो उठीं.  वह समुद्र के घमंड और भगवान शिव के प्रति अनादर को सहन नहीं कर पाईं.  उन्होंने समुद्र को श्राप दिया और बोलीं - 'तुमने मेरे पति का अपमान किया है.  इसलिए अब से तुम्हारा पानी खारा हो जाएगा और कोई भी इसे पी नहीं सकेगा.' माता पार्वती के श्राप के कारण समुद्र का पानी खारा हो गया और आज तक वैसा ही है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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