Sawan Shivratri 2025: सनातन धर्म में सावन शिवरात्रि का खास महत्व होता है. यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. पूजा के टाइम भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है. भक्त महादेव का दूध, दही, जल, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करते हैं. भक्तजन निशा काल में भगवान शिव की पूजा एवं भक्ति करते हैं. मंदिर में भजन-किर्तन और शिव विवाह का आयोजन होता है.
कब है सावन शिवरात्रि?
सावन का महीना बेहद पावन होता है. यह महीना भगवान शिव को प्रिया है. इस शुभ अवसर पर कई त्योहार और व्रत मनाए जाते हैं. सावन की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है. साथ ही सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है.
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को है. इस तिथि का शुभारंभ सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर होगा. वहीं, 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि का समापन होगा. इस तरह 23 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि मनाई जाएगी. 23 जुलाई को पूजा का समय निशा काल मे 12 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है.
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
पूजा की विधि
सावन शिवरात्रि पूजा विधि- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें. मंदिर में एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. अब भगवान शिव व माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद शिव जी का कच्चा दूध, दही, गंगाजल और जल से अभिषेक करें. अब भगवान शिव को चंदन लगाएं. माता पार्वती को कुमकुम लगाएं. अब विधिवत पूजा करें और आरती उतारें. पूजा के अंत में फल या मिठाई का भोग लगाएं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)