देशभर के शिवालयों में 9 अगस्त को सावन की शिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू मान्यता में सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है।इस दिन कांवड़ यात्रा कर जल लाने वाले भगवान शिव के भक्त अपने शिवालयों में जल चढ़ाते है। शिवरात्रि में शिवलिंग पर जलाभिषेक करना आवश्यक माना गया है।
इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। शिवरात्रि में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस महीने रुद्राभिषेक करने से भक्तों के समस्त पापों का नाश हो जाता है।
दिल्ली के मंदिरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है।
Delhi: Devotees offer prayers at Gauri Shankar Temple in Chandni Chowk on Sawan Shivaratri pic.twitter.com/2PL2JOtoA5
— ANI (@ANI) August 9, 2018
Delhi: Devotees offer prayers at Shiv Mandir in Chander Vihar on the occasion of Shivaratri pic.twitter.com/p8V1AiTn8x
— ANI (@ANI) August 9, 2018
पुराणों के अनुसार संमुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के कारण भगवान शिव का शरीर जलने लगा था, तब देवताओं ने मां गंगा से उनके शरीर को शीतल करने की प्रार्थना की थी। जिसके बाद मां गंगा की शीतल धारा से उनके शरीर की जलन दूर हो गई थी।
इस बार सावन में पड़ने वाली शिवरात्रि इस बार प्रदोष काल में पड़ने वाली है। जो एक शुभ संयोग माना जाता है। ऐसे में सूर्यास्त से रात 9 बजे के बीच पूजा करने वालों को विशेष लाभ मिलेगा। माना जाता है कि इस समय शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस सर्वार्थसिद्धि योग के दौरान शिव की पूजा करने वालों इच्छित फल मिलता है। यह योग 28 सालों बाद पड़ रहा है। प्रदोष काल में पूजन करने की कुल अवधि इस बार 43 मिनट की है।
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पूजा विधि
सावन के दिन भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद आदि अर्पित कर विशेष पूजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार की स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। सुबह जल्दी उठ नहा-धोकर भगवान शिव पूजन बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद, विशेष फूल से करें।
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना-
इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया।
पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तप किया जिससे खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। अपनी पत्नी से फिर मिलने के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना बेहद प्रिय है।
मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में घूमे थे जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का विशेष महत्व है।
Source : News Nation Bureau