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Sawan Sankashti Chaturthi 2022 Mantra and Chandrodaya Samay: सावन की संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय के समय इन मंत्रों का जाप दिलाएगा हर विपदा से मुक्ति

Sawan Sankashti Chaturthi 2022 Mantra and Chandrodaya Samay: इस बार की गजानन संकष्टी चतुर्थी काफी शुभ है. क्योंकि जहां एक तरह सावन मास की पहली संकष्टी चतुर्थी है. इसके साथ ही कर्क संक्रांति भी पड़ रही है.

Updated on: 16 Jul 2022, 12:44 PM

नई दिल्ली :

Sawan Sankashti Chaturthi 2022 Mantra and Chandrodaya Samay: माह में दो बार चतुर्थी तिथि पड़ती है. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. सावन में पहली संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन भगवान गणेश के पूजन करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. सावन मास में पड़ने के कारण गणेश जी की गजानन के रूप में पूजा होती है. इसी कारण इसे गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. 

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संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति जी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखना शुभ माना जाता है. इस बार की गजानन संकष्टी चतुर्थी काफी शुभ है. क्योंकि जहां एक तरह सावन मास की पहली संकष्टी चतुर्थी है. इसके साथ ही कर्क संक्रांति भी पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं सावन माह की संकष्टी चतुर्थी के मंत्र और चंद्रोदय समय के बारे में. 

संकष्टी चतुर्थी का शुभ योग 
आयुष्मान योग: 16 जुलाई सुबह 12 बजकर 21 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक
सौभाग्य योग: 16 जुलाई रात रात 08 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 17 जुलाई शाम 5 बजकर 49 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक

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गजानन संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का शुभ समय
हिंदू पंचांग के अनुसार 16 जुलाई रात 9 बजकर 34 मिनट पर चंद्रोदय होगा. इस दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ विधिवत पूजा करें.

संकष्टी चतुर्थी पर करें इन गणेश मंत्रों का जाप
1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

हर तरह की बाधा से मुक्ति पाने के लिए
2. गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।