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Sawan Pradosh Vrat 2022 Tithi, Shubh Muhurt and Pradosh Kaal: सावन के दूसरे सोमवार पर प्रदोष व्रत का दुर्लभ शुभ संयोग, जानें पुजा मुहूर्त और प्रदोष काल

Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शिव पूजा के बेहद खास मानी जाती है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और शिव जी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है.

Updated on: 23 Jul 2022, 12:21 PM

नई दिल्ली :

Sawan Pradosh Vrat 2022 Tithi, Shubh Muhurt and Pradosh Kaal: प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल का पांचवां माह सावन आरंभ हो चुका है. इस माह का प्रथम प्रदोष व्रत 25 जुलाई 2022 को रखा जाएगा. वैसे तो साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत शिव पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन माह में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. सावन माह और त्रयोदशी तिथि दोनों ही भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. ऐसे में सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शिव पूजा के बेहद खास मानी जाती है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और शिव जी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है. सावन माह का पहला प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसका तीन गुना महत्व बढ़ जाता है. ऐसे में चलिए जानते हैं सावन सोम प्रदोष व्रत के शुभ योग, पुजा मुहुर्त और प्रदोष काल के बारे में. 

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सावन सोम प्रदोष व्रत 2022 शुभ मुहूर्त
सावन त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 25 जुलाई को शाम 04 बजकर 15 मिनट से
सावन त्रयोदशी तिथि का समापन- 26 जुलाई को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर

सावन सोम प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त- प्रदोष व्रत के दिन पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए सावन का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को रखा जाएगा. इस दिन का पूजा मुहूर्त शाम 07 बजकर 17 से रात 09 बजकर 21 तक रहेगा.

प्रदोष काल 
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है. कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

सावन के पहले प्रदोष पर 2 राजयोग
25 जुलाई सोमवार को सावन का पहला प्रदोष व्रत है. इस दिन शश और हंस राजयोग के साथ ही बुधादित्य, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस सावन सोम प्रदोष के दिन आप रावण विरचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और इससे धन वैभव की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, वे भक्तों की दरिद्रता दूर करती हैं और उनके यश और धन में वृद्धि करती हैं.