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सावन के पहले सोमवार पर उज्जैन से लेकर काशी विश्वनाथ तक बोलबम की गूंज

शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने सावन के महीने में माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकारा था।

Updated on: 30 Jul 2018, 11:27 AM

नई दिल्ली:

हिंदु धर्म में श्रावण मास में शिव की पूजा-अराधना करने का विशेष महत्व माना जाता है। 28 जुलाई से शुरू हुए सावन का आज पहला सोमवार है।

उज्जैन से लेकर काशी विश्वनाथ के मंदिर समेत भारत में जगह-जगह आज शिव की पूजा अर्चना की जा रही है।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन भर उनका रुद्राभिषेक किया जाता है और 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जप किया जाता है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित 12 ज्योर्तिलिंग में से एक महाकालेश्वर में आज सुबह महाकाल की भव्य आरती की गई। इस दौरान भक्तों की अच्छी खास संख्या मौजूद रही।

वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर में भी भगवान को शिव को दूध से नहलाकर पूजा की गई।


तो वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार को भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी है।

क्या है सावन का महत्व-
चैत्र के पांचवे महीने को सावन कहा जाता है। सावन के महीने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। सावन के महीना भगवान शिव को बेहत पसंद है। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने सावन के महीने में माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकारा था।

सावन के महीने में भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में व्रत रखने वाली लड़कियों को भगवान शिव मनपंसद जीवनसाथी का आशीर्वाद देते हैं।

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना-
इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया।

पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तप किया जिससे खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। अपनी पत्नी से फिर मिलने के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना बेहद प्रिय है।

मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में घूमे थे जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का विशेष महत्व है।

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