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Sawan 2023 : सावन माह में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के करें दर्शन, सभी कष्ट होंगे दूर

Sawan 2023 :  मध्य प्रदेश के इंदौर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबसे प्रसिद्ध ओमकारेश्वर मंदिर स्थित है. यहां श्रद्धातुलओं की काफी भीड़ उमड़ती है. अब सावन का महीना जल्द शुरू होने वाला है.

Sawan 2023 :  मध्य प्रदेश के इंदौर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबसे प्रसिद्ध ओमकारेश्वर मंदिर स्थित है. यहां श्रद्धातुलओं की काफी भीड़ उमड़ती है. अब सावन का महीना जल्द शुरू होने वाला है.

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Aarya Pandey
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Sawan 2023

Sawan 2023( Photo Credit : social media )

Sawan 2023 :  मध्य प्रदेश के इंदौर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबसे प्रसिद्ध ओमकारेश्वर मंदिर स्थित है. यहां श्रद्धातुलओं की काफी भीड़ उमड़ती है. अब सावन का महीना जल्द शुरू होने वाला है जिससे मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. मंदिर प्रशासन के द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए कई तरह की तैयारियां की गई है. कई कांवड़ यात्री ओंकारेश्वर से जल भरकर उज्जैन के लिए रवाना हो रहे हैं. तो वहीं, कई भक्त नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं. 

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ओंकारेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का बहुत ही खास महत्व है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की उपासना के लिए बेहद पवित्र माना जाता है. अब ऐसे में ओंकारेश्वर मंदिर में भक्त महादेव के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं और मंदिर के ट्रस्ट भक्तों की सुख-सुविधाओं को देखते हुए और मंदिर को नया स्वरुप देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. अभी हाल ही में मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के लिए चांदी का द्वार भी लगाया गया है. अभी हाल ही में सावन माह में ओंकारेश्वर जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. घाट को साफ-सुथरा और स्वच्छ बनाया जा रहा है. साथ ही, यहां महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम की भी खास व्यवस्था है. 

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जानें क्या है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
भगवान के महान भक्त अम्बरीप और मुचुकुंद के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस जगह पर कठोर तपस्या कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. उस महा पुरुष मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत पड़ा. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक प्राकृतिक शिवलिंग है. ऐसा कहा जाता है कि यहां 33 कोटी देवी-देवताओं का वास है. 12 ज्योतिर्लिंग में ओंकारेश्वर का पवित्र ज्योतर्लिंग भी शामिल है. शास्त्रों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि जब तक तीर्थ यात्री ओंकारेश्वर के दर्शन कर यहां नर्मदा सहित अन्य नदी का जल नहीं चढ़ाते हैं, तब तक उनकी यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है. 

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