Breaking News: राजस्थान में गिरफ्तार किया गया देश का 'दुश्मन', पाकिस्तान के लिए रहा था जासूसी
Khan Sir Trolled: महिलाओं को लेकर करते थे बड़ी-बड़ी बातें, अब अपनी ही पत्नी के साथ कर दिया ये अजीब काम, हुए ट्रोल
RCB vs PBKS Finale Live Update: फाइनल में होगा आरसीबी-पंजाब का आमना-सामना, 7.30 बजे शुरू होगा मैच
कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान पर मंत्री सारंग का तंज, बोले- कभी नहीं आएगा परिवर्तन
सुहागरात पर दूल्हे को क्यों पिलाया जाता है केसर का दूध, क्या Sexual Life को मिलता है बूस्ट
पीठ के पुराने दर्द से परेशान हैं तो प्रकृति कर सकती है आपकी मदद : अध्ययन
भगवान शिव के परम भक्त हैं एलन मस्क के पापा, की हिंदू धर्म और वेदों की जमकर तारीफ; राम जी के करेंगे दर्शन
YRKKH: अंशुमन की फैन बन जाएगी दादी सा, अभिरा संग रिश्ता जोड़ने की करेंगी प्लानिंग
पुडुचेरी में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ से पहले जागरूकता रैली, 100 से अधिक छात्रों ने लिया हिस्सा

Sawan 2022 Kanwar Yatra Katha: जब रावण ने दिलाई थी भगवान शिव को हलाहल विष से मुक्ति, ऐसा हुआ था कांवड़ का शुभारंभ

Sawan 2022 Kanwar Yatra Katha: सावन के महीने में शिव कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं. हर साल लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार बाबा धाम और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं.

author-image
Gaveshna Sharma
New Update
Sawan 2022 Kanwar Yatra Katha

जब रावण ने दिलाई थी भगवान शिव को हलाहल विष से मुक्ति( Photo Credit : News Nation)

Sawan 2022 Kanwar Yatra Katha: सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होने वाला है जो 12 अगस्त तक रहेगा. इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। सावन सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई को है. सावन भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है. इस महीने शिव भक्त जी जान से भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन हो जाते हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ें: Sawan Kanwar Yatra 2022 Importance: सावन के दौरान निकलती है कांवड़ यात्रा, जानें इसका महत्व

सावन के महीने में शिव कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं. हर साल लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार बाबा धाम और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं. इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरे कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल जाते हैं और फिर वह गंगाजल भगवान शिव जी को चढ़ाया जाता है. इस साल कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होगी. आइए जानते हैं क्या है कांवड़ यात्रा की कथा. 

कांवड़ पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तब उस मंथन से 14 रत्न निकले. उन चौदह रत्नों में से एक हलाहल विष भी था, जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था. उस समय संसार की रक्षा के लिए शिव जी ने उस विष को पी लिया और उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया. विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और इसी वजह से उनका नाम नीलकंठ पड़ा. कहा जाता है कि रावण, भगवान शिव का सच्चा भक्त था. वह कांवर में गंगाजल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया, तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली. 

उप-चुनाव-2022 भगवान शिव Sawan 2022 Bhagwan Shiv Kanwar Yatra 2022
      
Advertisment