/newsnation/media/post_attachments/images/2022/07/16/article-13-16.jpg)
देव सती ने कनखल में त्यागे थे प्राण, आज भी मौजूद हैं रहस्यमयी निशान ( Photo Credit : News Nation)
Sawan 2022 Bhagwan Shiv, Devi Sati Aur Kankhal: देवशयनी एकादशी से देवों का शयनकाल शुरू हो गया है. शिव पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं तब संसार की बागडोर भगवान शिव के हाथों में रहती है. 14 जुलाई 2022 से सावन की शुरुआत हो गई है. मान्यता है कि इस दौरान शिव जी कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. आइए जानते है सावन में धरती पर कहां निवास करते हैं भगवान भोलेनाथ. पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ अपने सुसराल आते हैं. हरिद्वार के कनखल में भगवान शिव का ससुराल है. यहां स्थित दक्ष मंदिर में भगवान शिव और माता सति से विवाह के बंधंन में बंधे थे.
देवी सती ने यहां त्याग दिए थे प्राण
शिव पुराण के अनुसार कनखल में देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने प्रसिद्ध यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था. यहीं पर देवी सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर यज्ञ में अपने प्राण की आहूति दे दी थी. माता सती के अग्निदाह पर शिव जी के गौत्र रूप वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था.
कनखल में है मौजूद है ये निशान
कहते हैं कि यहां मौजूद एक छोटा सा गड्ढा राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ की निशानी है जिसमें देवी सती ने प्राण त्याग दिए थे. वहीं मूर्छित देवी सती को भुजाओं में उठाते हुए भगवान शिव की मूर्ति मां सती के समाधि लेने के बाद की घटना को दर्शाती है.