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Sawan 2021( Photo Credit : फाइल फोटो)
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Sawan 2021( Photo Credit : फाइल फोटो)
इस वक्त सावन का पवित्र माह चल रहा है. हिंदू धर्म में इस महीने का विशेष महत्वपूर्ण है. भगवान शिव जी का सबसे प्रिय महीना सावन का महीना माना जाता है. सावन के पवित्र माह में भोलेनाथ की विशेष पूजा आराधना होती है, जिसमें उनका जलाभिषेक किया जाता है. हिंदू कैलेण्डर के मुताबिक, 24 जुलाई को आषाढ़ मास का समापन हो गया और 25 जुलाई से श्रावण मास यानी सावन का महीना शुरू हो गया है. सावन में शिवजी को उनकी हर प्रिय चीजों को अर्पित किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं. भोलेनाथ मात्र जल, फूल, बेलपत्र और भांग-धतूरा से ही प्रसन्न हो जाते हैं.
भोलेनाथ ऐसे अकेले देवता हैं, जो गर्भगृह में नहीं होते हैं. अपने भक्तों का शिवजी विशेष ध्यान रखते हैं और उनके दर्शन दूर से ही सभी लोग जिसमें बच्चे, बूढ़े, आदमी और महिलाएं सभी कर सकते हैं. थोड़े से जल चढ़ाने मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं.
किसी भी शिव मंदिर में हमें पहले शिव के वाहन नंदी के दर्शन होते हैं. मंदिर में नंदी देवता का मुंह शिवलिंग की तरफ होता है. शिवजी का नंदी वाहन है. नंदी की नजर हमेशा अपने आराध्य की ओर होती है. नंदी के बारे में मानना है कि यह पुरुषार्थ का प्रतीक है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवताओं और दैत्यों के बीच जब समुद्र मंथन चल रहा था तभी उसमें से विष का घड़ा भी निकला था. समुद्र मंथन से निकले विष के घड़े को न तो देवता और न ही दैत्य लेने को तैयार थे. इस पर भगवान शिवजी ने सभी की रक्षा करने के लिए विषपान किया था.
इसके बाद शिवजी का मस्तिष्क विष के प्रभाव से गर्म हो गया. इस पर देवताओं ने शिवजी के मस्तिष्क पर जल डालना शुरू कर दिया था, जिससे उनकी मस्तिष्क की गर्मी कम हुई. बेल के पत्तों की तासीर ठंडी होती है, इसलिए भोलेनाथ को बेल पत्र भी चढ़ाया जाता है. शिवजी की पूजा इसी समय से जल और बेलपत्र से की जाती है. बेलपत्र और जल से भोलेनाथ का मस्तिष्क शीतल रहता है और उन्हें शांति मिलती है, इसलिए बेलपत्र और जल से पूजा करने वाले पर शिवजी हमेशा प्रसन्न रहते हैं.
शिवजी को कई नामों से पुकारा और पूजा जाता है. शिवजी को भोलेनाथ भी कहा जाता है. भोलेनाथ यानी जल्दी प्रसन्न होने वाले देवते हैं. भगवान शंकर की आराधना और उनको प्रसन्न करने के लिए भक्तों को विशेष साम्रगी की जरूरत नहीं होती है. भोलेनाथ जल, पत्तियां और तरह-तरह के कंदमूल को अर्पित करने से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं.
Source : News Nation Bureau