आज यानी 6 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है और आज ही सावनन का पहला सोमवार है. ऐसे में लोग भोले बाबा के दर्शन करने के लिए मंदिर जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ने गोरखपुर के मानसरोवर मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की. वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में भी भक्तों भगवान शिव के दर्शन किए. हालांकि कोरोना संकट के चलते इस साल भीड़ कुछ कम दिख रही है. इसके अलावा दिल्ली के चांदनीचौक स्थित गौर शंकर मंदिर में भी भक्तों ने सावन के पहले सोमवार भोले बाबा के दर्शन किए.
दरअसल हिंदू धर्म सावन के सोमवार का काफी महत्व होता है. मान्यता है कि जो भी सावन के सोमवार का व्रत रखता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. सोमवार को सबसे पहले सुबह उठ जाए. घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान कीजिए. फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान शिव का पूजन कीजिए. भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल, दूध, दही, घी का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए.
ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद चढ़ाए. इसके बाद कलावा, वस्त्र, जनेऊ चढ़ाए. फिर रोली, चंदन फूल,बेलपत्र शिव के ऊपर चढ़ाए. बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल भी पूजा विधि में करें.
सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें व शिव चालीसा का पाठ करें और महादेव की आरती उतारें. अगर आप सोमवार का व्रत करते हैं तो कोशिश कीजिए की एक वक्त ही भोजन करें. संभव हो तो रात्रि में आसन बिछा कर सोना चाहिए.
सावन में शिव पूजा और सोमवार के व्रत से मिलेगा ये लाभ
1. सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है. सावन के अलावा सोमवार का व्रत अन्य महीनों में भी किया जा सकता है.
2. कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो इससे भी छुटकारा मिलता है.
3. सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं इसलिए इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है.
पार्वती ने किया तप तो मिले शिव
भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं.
यही कारण है कि इस महीने क्वांरी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं. यह भी मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था. इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.
Source : News Nation Bureau