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Sarv Pitru Amavasya 2022 Muhurt aur Yog: सर्व पितृ अमावस्या पर इस मुहूर्त और योग में दें पितरों को विदाई, जीवन बना रहेगा अत्यंत सुखदाई

Sarv Pitru Amavasya 2022 Muhurt aur Yog: पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है.

Updated on: 23 Sep 2022, 11:01 AM

नई दिल्ली :

Sarv Pitru Amavasya 2022 Muhurt aur Yog: पितृ पक्ष की अंतिम तिथि सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जानी जाती है, इसे आश्विन अमावस्या भी कहते हैं. कुछ लोग इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं. पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. हर व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करता है, इससे पितर भी तृप्त रहते हैं और परिवार में भी सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या के मुहूर्त और योग के बारे में. 

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सर्व पितृ अमावस्या 2022 तिथि (Sarv Pitru Amavasya 2022 Tithi)
पंचांग के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या तिथि की शुरूआत 25 सितंबर, दिन रविवार को सुबह 3 बजकर 12 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 26 सितंबर, दिन सोमवार को सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे मे सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को ही मानी जाएगी. 

सर्व पितृ अमावस्या 2022 योग (Sarv Pitru Amavasya 2022 Yog) 
हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस योग में जो भी काम किया जाता है वह सफल होता है और उसका परिणाम भी उत्तम निकल कर आता है. 25 सितंबर, रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र  सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना गया है. साथ ही इस दिन बुधादित्य योग और त्रिकोण योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. 

सर्व पितृ अमावस्या 2022 मुहूर्त (Sarv Pitru Amavasya 2022 Muhurt) 
सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्ता पूरे दिन किसी भी समय पिंडदन कर सकते हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग का आरंभ सुबह 6 बजकर 20 मिनट से हो रहा है जो अगले दिन सुबह 5 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इसलिए पूरे दिन तर्पण पिंडदान इत्यादि श्राद्ध क्रियाएं की जा सकेंगी. मान्यताओं के अनुसार इस योग में पिंडदान का अधिक लाभ मिलता है और पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.