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Sarv Pitru Amavasya 2020: पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हों तो सर्व पितृ अमावस्या पर करें तर्पण

पितृ पक्ष की अमावस्‍या तिथि (Amavasya Tithi) को सर्व पितृ अमावस्‍या कहते हैं. जन्मकुंडली में पितृ-मातृदोष से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध (Shradh) के लिए सर्व पितृ अमावस्‍या अक्षय फलदायी मानी जाती है.

Updated on: 06 Sep 2020, 04:39 PM

नई दिल्ली:

पितृ पक्ष की अमावस्‍या तिथि (Amavasya Tithi) को सर्व पितृ अमावस्‍या कहते हैं. जन्मकुंडली में पितृ-मातृदोष से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध (Shradh) के लिए सर्व पितृ अमावस्‍या अक्षय फलदायी मानी जाती है. इस तिथि को सर्व पितृ श्राद्ध (Sarva Pitru Shradh) भी कहा जाता है. जानें सर्व पितृ अमावस्‍या महत्‍व :

सर्व पितृ अमावस्या को लेकर सनातन धर्म में एक प्राचीन कथा भी कही-सुनी जाती है. कथा की मानें तो अग्निष्वात और बर्हिषपद की मानसी कन्या अक्षोदा घोर तपस्या कर रही थीं. तपस्‍या में वह इतनी लीन रहीं कि एक हजार वर्ष बीत गए. तब आश्विन अमावस्या के दिन श्रेष्ठ पितृगण अक्षोदा को वरदान देने के लिए प्रकट हुए. उन पितरों में से एक अमावसु की मनोहारी छवि और तेज ने अक्षोदा को कामातुर कर दिया. माना जाता है कि अक्षोदा उनसे प्रणय के लिए निवेदन करने लगीं. मगर अमावसु ने इनकार कर दिया, जिससे अक्षोदा अति लज्जित महसूस करने लगी.

सभी पितरों ने अमावसु के धैर्य की सराहना की. इसके बाद से पितृ पक्ष की अमावस्‍या तिथि का बहुत महात्‍म्‍य स्‍थापित हो गया. जो व्‍यक्ति किसी भी दिन श्राद्ध न कर पाए, तो वह अमावस्या के दिन श्राद्ध-तर्पण करके बीते 14 दिनों पुण्य प्राप्त कर सकता है. इसी कारण हर माह की अमावस्‍या तिथि का बहुत महत्व है. सर्व पितृ श्राद्ध के रूप में इस तिथि को मनाया जाता है.