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Saraswati Puja Song and Vandana 2021: वसंत पंचमी पर मां सरस्‍वती की वंदना, गीत और आरती यहां पढ़ें

Saraswati Puja Song and Vandana 2021: आज देशभर में वसंत पंचमी यानी सरस्‍वती पूजा का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है.

Updated on: 16 Feb 2021, 12:19 PM

नई दिल्ली:

Saraswati Puja Song and Vandana 2021: आज देशभर में वसंत पंचमी यानी सरस्‍वती पूजा का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आज 27वें नक्षत्र रेवती के अंतर्गत पूरे दिन शुभ योग भी रहेगा. इसमें पूजा-पाठ के पूर्ण शुभ फल की प्राप्ति होगी. वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त होने के कारण सभी कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है. मां सरस्वती की पूजा की बात हो और उनकी वंदना गीत न हों, ऐसा हो नहीं सकता. प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में मां सरस्वती की वंदना का बहुत महत्व रहा है. 

आज देशभर के सरस्वती मंदिरों और पूजा स्थलों पर मां सरस्वती की पूजा का आयोजन किया गया है. विधिवत पूजा के दौरान मां सरस्वती वंदना, श्लोक और आरती गाए जा रहे हैं. जिन लोगों को मां सरस्वती की कोई भी वंदना या गाना याद नहीं है, उनके लिए यहां लोकप्रिय सरस्वती वंदना गीत और वंदना श्लोक प्रस्‍तुत किया जा रहा है, जिन्‍हें पूजा के दौरान आप पढ़ सकते हैं. 

सरस्वती वंदना गीत
वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
        भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
        जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
        नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

मां सरस्वती की आरती
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ ॐ जय..

बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ ॐ जय..

देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ ॐ जय..

विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ ॐ जय..

धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ ॐ जय..

मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ ॐ जय..

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॐ जय..