सांप का नाम सुनते ही डर लगना अब आम बात हो गई है. वहीं आज के टाइम में विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है, लेकिन सांप के काटने से मौत को लेकर अब भी लोगों के मन में वो डर है. हमारे हिंदू धर्म में मौत को लेकर काफी कुछ है. वहीं जब भी किसी की मौत होेती है, तो उसका अंतिम संस्कार या तो किया जाता है या फिर दफनाकर, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर किसी की मौत सांप काटने के बाद हो जाती है तो ना तो उनका अंतिम संस्कार किया जाता है और ना ही उन्हें दफनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि उनके शरीर का क्या किया जाता है.
शिव जी से जोड़ा गया
भारत में सांप को पूजा भी जाता है और उससे जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं. सांप को भगवान शिव से जोड़ा जाता है, उनके गले में सर्प लिपटा हुआ दिखाया जाता है. इसलिए सांप से जुड़ी चीजों को आध्यात्म से जोड़कर देखा जाता है. जब कोई व्यक्ति सांप के काटने से मरता है, तो गांवों और कुछ खास क्षेत्रों में यह माना जाता है कि उस व्यक्ति की मौत पूरी तरह से नहीं हुई है.
ना जलाया जाता ना दफनाया जाता
लोगों का मानना होता है कि अगर सही समय पर उपाय किया जाए, तो वह वयक्ति दोबारा जीवित हो सकता है. इसी के चलते मृत शरीर को ना तो जलाया जाता है और ना ही मिट्टी में दफनाया जाता है. इस तरह की मौत पर शव को नदी में बहा दिया जाता है.
ये है वजह
दरअसल, इसके पीछे कई वजह बताई जाती है कि पहले के समय में कुछ लोग होते थे जो विशेष मंत्रों और जड़ी बूटियों के जरिए सांप के जहर का असर खत्म कर देते थे. वे नदी के किनारे रहते थे और ऐसे शवों को देखकर कोशिश करते थे कि वह फिर से जी उठे. इस उम्मीद में कि कहीं वह व्यक्ति जिंदा निकले, शव को जलाना या दफनाना सही नहीं माना जाता था. वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार पानी में जाने से शरीर पर पड़ा विष उतर सकता है. इसलिए भी शव को जल में प्रवाहित करना एक तरह से जीवन की एक और संभावना मानकर किया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)