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रिक्ता दोष से शापित है 19 अप्रैल की संकष्टी चतुर्थी,मृत्यु चक्र का योग( Photo Credit : Social Media)
Sankashti Chaturthi April 2022: चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना और उनकी उपासना की जाती है. हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी. कृष्ण पक्ष की तिथि को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. हर माह में आने वाली चतुर्थी का अपना अलग महत्व होता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी कि 19 अप्रैल, मंगलवार को पड़ रही है. गणेश भक्त इस दिन भगवान की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और पूजा आदि करते हैं. संकष्टी चतुर्थी व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों की सभी परेशानियां और दुख दूर होते हैं.
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इसका संस्कृत अर्थ है कथन समय से मुक्ति पाना. हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के संकष्टी चतुर्थी व्रत को प्रभावकारी बताया गया है. इस दिन भक्त अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए विधि विधान से व्रत रखकर गणपति की अराधना करते हैं. गणेश जी को सर्वप्रथम पूजनीय देव माना गया है. यही वजह है कि हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.
कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और सच्चे मन से भगवान की अराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं. जातक को विशेष फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा अर्चना से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है. इस दिन पूरा दिन उपवास रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस दिन गणपति पूजन से सभी विघ्नों का नाश होता है.
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वहीं, जहां इस तिथि का खासा धार्मिक महत्व है उतना ही ज्योतिष महत्व भी है. 19 अप्रैल यानी कि कल के दिन पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी पर 'रिक्ता दोष' उत्पन्न हो रहा है, यह दोष व्यक्ति के जीवन में कष्टों से लेकर मृत्यु तक के योग चक्र बनाता है. ऐसे में मात्र गणेश जी की पूजा ही इस दोष का काट है.
ज्योतिष के अनुसार, यह तिथि 'खला तिथि' है जिसे रिक्ता संज्ञक माना जाता है. इसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार को पड़ने वाली चतुर्थी 'मृत्युदा' होती है और शनिवार को पड़ने वाली चर्तुर्थी 'सिद्धिदा' होती है. बता दें कि, इस बार कि संकष्टी चतुर्थी रिक्ता है और दिशा नैऋत्य है.
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