Sankashti Chaturthi 2024 Calendar: साल 2024 में कब-कब है संकष्टी चतुर्थी, जानें सही पूजा विधि
Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन गणेश भगवान की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है.
नई दिल्ली :
Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन गणेश भगवान की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है. इस त्योहार को "संकष्टी चतुर्थी" कहा जाता है क्योंकि इसे मान्यता है कि इस दिन कोई भी संकष्टी (मुश्किल) दूर हो जाती है और भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. भारतीय समाज में इस त्योहार को विशेष धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है, जो विद्वान, बुद्धिमान, और विघ्न नाशक माने जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी को मनाकर भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में आने वाली हर मुश्किल को दूर करने की कामना करते है. इस दिन लोग विशेष उत्साह और भक्ति के साथ गणेश भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, जिससे उन्हें धन, समृद्धि, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह त्योहार भक्तों के लिए आशीर्वाद और मंगल के साथ सम्पन्न होता है और उन्हें अच्छे कर्मों के लिए प्रेरित करता है.
साल 2024 में कब-कब है संकष्टी चतुर्थी
सोमवार, 29 जनवरी संकष्टी चतुर्थी
बुधवार, 28 फरवरी संकष्टी चतुर्थी
गुरुवार, 28 मार्च संकष्टी चतुर्थी
शनिवार, 27 अप्रैल संकष्टी चतुर्थी
रविवार, 26 मई संकष्टी चतुर्थी
मंगलवार, 25 जून अंगारकी चतुर्थी
बुधवार, 24 जुलाई संकष्टी चतुर्थी
गुरुवार, 22 अगस्त संकष्टी चतुर्थी
शनिवार, 21 सितंबर संकष्टी चतुर्थी
रविवार, 20 अक्टूबर संकष्टी चतुर्थी
सोमवार, 18 नवंबर संकष्टी चतुर्थी
बुधवार, 18 दिसंबर संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
पूजा सामग्री तैयार करें: गणेश भगवान की मूर्ति या पितल का बना विग्रह होना चाहिए. पूजा के लिए अपने चयन के अनुसार फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती, रोली, चावल, सिंदूर, गुड़, मिश्री, पान, फल, नींबू, और मिठाई आदि की तैयारी करें.
पूजा का समय तय करें: संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है। इस समय के दौरान भगवान गणेश की पूजा का अधिक महत्व है.
पूजा की शुरुआत करें: शुद्धि एवं शुभता के लिए हाथ धोकर या स्नान करके पूजा की शुरुआत करें.
गणेश आराधना करें: गणेश भगवान को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और मिठाई सहित अन्य पूजा सामग्री से आराधित करें.
व्रत कथा का पाठ करें: संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा को सुनें या पढ़ें.
प्रार्थना और आरती करें: भगवान गणेश की प्रार्थना करें और उन्हें आरती समर्पित करें.
प्रदक्षिणा करें और प्रसाद बांटें: गणेश भगवान के चारों ओर प्रदक्षिणा करें और फिर प्रसाद बांटें.
व्रत समाप्ति: व्रत को समाप्त करने के बाद, संकष्टी चतुर्थी की पूजा को समाप्त करें और प्रसाद का सेवन करें.
इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि को अनुसरण करके भक्त भगवान गणेश की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं.
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