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Sadhguru on Neem Karoli Baba
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Sadhguru on Neem Karoli Baba
Sadhguru: पूरे विश्व में अध्यात्म की चर्चा को लेकर प्रसिद्ध सद्गुरु ने बताया कि विदेशों में भी बाबा नीम करोली के बारे में लोग कितना जानते हैं. सद्गुरु के अनुसार,नीम करोली बाबा एक अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली तांत्रिक थे, जिनके पास अद्वितीय आध्यात्मिक क्षमताएं थीं. पूरी दुनिया बाबा नीम करोली को हनुमान भक्त के नाम से जानती है, कुछ लोगों का मानना ये भी है कि वो साक्षात हनुमान का ही रूप थे, लेकिन एक इवेंट में सद्गुरु ने बताया कि वे मानते हैं कि नीम करोली बाबा तांत्रिक थे. अब उनके शब्दों में तांत्रिक वो किसे कहते हैं ये भी उन्होने बताया.
सद्गुरु ने बताया कि जब मैं एक वीडियो देख रहा था जिसमें उस व्यक्ति के बारे में बात हो रही थी जिसे आज अमेरिका में रामदास के नाम से जाना जाता है, जो 1960 और 70 के दशक में एक बड़ी घटना बन गए थे. वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थे और उस समय LSD (एक प्रकार का मादक पदार्थ) पर बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रहे थे. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वे LSD का निर्माण भी कर रहे थे. उन्हें लगा कि यह "निर्वाण" (मुक्ति) पाने का रास्ता है. उसी समय कैलिफ़ोर्निया में ये प्रचार किया गया कि जहां भारत में ध्यान में 12 साल लगते हैं, वहां LSD से यह सफर बहुत जल्दी हो सकता है.
रामदास भी LSD के बारे में अपनी बातें लेकर भारत आए. उन्हें लगा कि वह अब दिन में 2-3 LSD की गोलियां खा सकते हैं और कुछ भी जान सकते हैं. वह नीम करौली बाबा के पास आए, जो एक रहस्यमयी और तांत्रिक थे और जिनके पास अद्वितीय शक्तियां थीं. मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूँ कि एक तांत्रिक क्या होता है. तांत्रिक वह व्यक्ति होता है जो सक्षम होता है, और जिसने अपनी क्षमताओं को विकसित किया होता है. वह केवल किताबें पढ़ने वाला व्यक्ति नहीं होता, बल्कि जिसने अपने अंदर योग्यता विकसित की होती है.
नीम करौली बाबा एक तांत्रिक थे और वे हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे. रामदास ने बाबा से कहा कि "मेरे पास स्वर्ग से लाया हुआ असली सामान है. इसे लेने से हर वह चीज़ खुल जाती है जो जानने लायक है. क्या आप इस बारे में कुछ जानते हैं?"
बाबा ने कहा, "क्या है ये, मुझे दिखाओ." रामदास ने उन्हें LSD की कुछ गोलियां दीं. बाबा ने पूछा, "कितनी हैं?" रामदास के पास इतनी गोलियां थीं जो कई दिनों या महीनों तक चल सकती थीं. बाबा ने कहा, "मुझे दे दो." रामदास ने सारी गोलियां बाबा को दे दीं. बाबा ने एक मुट्ठी भर LSD की गोलियां लीं और निगल लीं. उसके बाद वे जो कर रहे थे, वह करते रहे.
रामदास वहीं बैठे रहे, यह सोचते हुए कि अब बाबा में कुछ विस्फोटक परिवर्तन होगा, या शायद वह मर जाएंगे. लेकिन बाबा में कोई बदलाव नहीं हुआ. वह पूरी तरह सामान्य रहे, और अपना काम करते रहे. यह दिखाने के लिए कि तुम अपनी जिंदगी बेकार की चीज़ों में बर्बाद कर रहे हो, बाबा ने यह सब किया. वह दिखाना चाहते थे कि यह पदार्थ तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगा.
बाबा के प्रेम और रामदास की अपनी सच्चाई और खुलेपन की वजह से उन पर एक विशेष आयाम का प्रभाव पड़ा. रामदास स्वयं से रामदास नहीं बने, उन्होंने केवल एक समझदारी भरा काम किया - वह नीम करौली बाबा के साथ बैठे. नीम करौली बाबा ने उन्हें एक नया दृष्टिकोण दिया और उन्हें अमेरिका भेज दिया, ताकि वहां नए रास्ते खुल सकें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)