/newsnation/media/post_attachments/images/2019/12/07/ayappamandir-52.jpg)
Sabarimala Temple( Photo Credit : (फाइल फोटो))
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
एक बार फिर केरल का सबरीमाला मंदिर सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी महिलाएं भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए लड़ रही है. इस मामले में केरल की रहने वाली फातिमा ने याचिका भी दाखिल की है.
Sabarimala Temple( Photo Credit : (फाइल फोटो))
एक बार फिर केरल का सबरीमाला मंदिर सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी महिलाएं भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए लड़ रही है. इस मामले में केरल की रहने वाली फातिमा ने याचिका भी दाखिल की है. फातिमा ने मांग की है कि सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए. आज हम आपको मंदिर में औरतों की पाबंदी की वजह से खबरों की सुर्खियों में रहने वाले सबरीमाला मंदिर के इतिहास के बारें में बताने जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: महिलाओं को सबरीमला मंदिर की परंपरा बनाए रखनी चाहिए : भाजपा नेता
सबरीमाला मंदिर का इतिहास
दक्षिण भारत के केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर में करोड़ों हिंदुओं की आस्था है. ये मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच बसा और पूरे जंगलों से घिरा हुआ है. कहा जाता है कि इस मंदिर का नाम शबरी के नाम पर पड़ा था, जिसका जिक्र रामायण में भी किया किया है.
मनोकामना होती है पूर्ण
इस मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है, उन्हें 'हरिहरपुत्र' भी कहा जाता है यानी कि विष्णु और शिव के पुत्र. वहीं बता दें कि यहां दर्शन करने वाले भक्तों को दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन छोड़ना पड़ता है. मान्यता है कि अगर भक्त तुलसी या फिर रुद्राक्ष की माला पहनकर और व्रत रखकर यहां पहुंचकर दर्शन करे तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
भगवान अयप्पा खुद जलाते है ज्योति
सबरीमाला मंदिर से अनोखा किस्सा प्रचलित है, कहा जाता है कि मकर संक्रांति के मौके पर रात के समय एक ज्योति दिखती है. भक्तों के मुताबिक, इस ज्योति को खुद भगवान अयप्पा जलाते हैं, जिसे देव ज्योति भी कहा जाता है. साथ ही इस मकर ज्योति के नाम से भी जाना जाता है. इस दिव्य ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से भक्त अयप्पा के मंदिर में आते हैं.
इसलिए महिलाएं है वर्जित
मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे इसलिए इस मंदिर में 10 से 50 साल तक लड़कियां और महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती है. सबरीमाला मंदिर में वहीं लड़कियां आ सकती है जिनका मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ है या फिर वो महिलाएं जो मासिक धर्म से मुक्त हो चुकी हैं.
और पढ़ें: कपाट खुलने के साथ ही सबरीमाला मंदिर को मिला 3.30 करोड़ रुपये का दान
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर और अन्य धार्मिक स्थानों पर महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने का आदेश दिया है. कोर्ट ने हालांकि 28 सितंबर, 2018 को दिए गए निर्णय पर रोक नहीं लगाई है, जिसमें 10 से 50 साल आयुवर्ग के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो