Rudraksha: रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई, कितने प्रकार का होता है, जानें इसके पीछे की प्रमुख कथाएं

Rudraksha: रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय वस्त्र माना जाता है और इसका धारण करने से भक्त उन्हें प्रसन्न कर सकता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में भिन्न-भिन्न कथाएं प्रचलित हैं.

Rudraksha: रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय वस्त्र माना जाता है और इसका धारण करने से भक्त उन्हें प्रसन्न कर सकता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में भिन्न-भिन्न कथाएं प्रचलित हैं.

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Inna Khosla
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Birth of rudraksha story

Birth of rudraksha story( Photo Credit : social media)

Rudraksha: रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न पौराणिक कथाएं हैं. एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक बार पर्वतराज हिमालय पर भगवान शिव और माता पार्वती के बीच एक विवाद हुआ. पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि कौन सबसे शक्तिशाली हैं. भगवान शिव ने कहा कि उन्हें ही सबसे शक्तिशाली माना जाता है. इस पर पार्वती ने भगवान शिव के पास से चले गए और उन्हें छोड़कर चली गई. पार्वती द्वारा चले जाने के बाद, भगवान शिव का मन उदास हो गया और उन्होंने अपनी आँखों से आँसू बहाया. उनके आँसू पर्वत शिखर से गिरकर पानी में गिरे और फिर उस पानी में उद्गम हुए अनेक रुद्राक्ष के पेड़. इसी तरह से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. इसलिए, रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय वस्त्र माना जाता है और इसका धारण करने से भक्त उन्हें प्रसन्न कर सकता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में भिन्न-भिन्न कथाएं प्रचलित हैं.

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प्रमुख कथाएं:

भगवान शिव के आंसू: एक प्रचलित कथा के अनुसार, भगवान शिव ने जब ब्रह्मांड के कल्याण के लिए एक हजार वर्षों तक तपस्या की, तो उनकी आंखों से जल के बूंदें पृथ्वी पर गिरीं. इन बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए.

त्रिपुरासुर का वध: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव ने जब त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू निकले. इन आंसुओं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए.

रुद्र और आंसू: 'रुद्र' शब्द भगवान शिव के एक नाम का प्रतीक है, और 'आक्ष' का अर्थ है 'आंसू'. इस प्रकार, रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना जाता है.

रुद्राक्ष के प्रकार:

मुख: रुद्राक्ष के फल पर लकीरों की संख्या के आधार पर मुखों का वर्गीकरण होता है.
आकार: रुद्राक्ष के आकार के आधार पर उन्हें बड़े, मध्यम और छोटे में वर्गीकृत किया जाता है.
बीज: रुद्राक्ष के बीज के रंग के आधार पर उन्हें लाल, काले, और भूरे रंग में वर्गीकृत किया जाता है.

रुद्राक्ष धारण करने के लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति: रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति और एकाग्रता में वृद्धि होती है.
नकारात्मक ऊर्जा: रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
ग्रहों की दशा: रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की दशा में सुधार होता है और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं.
स्वास्थ्य लाभ: रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और रोगों से बचाव होता है.

रुद्राक्ष धारण करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें. 

रुद्राक्ष का प्रकार: अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं के अनुसार रुद्राक्ष का प्रकार चुनें.
रुद्राक्ष का आकार: रुद्राक्ष का आकार अपने शरीर के अनुकूल चुनें.
रुद्राक्ष का बीज: रुद्राक्ष का बीज अपनी पसंद के अनुसार चुनें.
रुद्राक्ष धारण करने का तरीका: रुद्राक्ष धारण करने का सही तरीका जानने के लिए किसी योग्य गुरु या ज्योतिषी से सलाह लें.
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी उचित सिद्धि करना भी आवश्यक होता है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रुद्राक्ष धारण करने से ही सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाएगा. रुद्राक्ष धारण करने के साथ-साथ आपको अच्छे कर्म भी करने होंगे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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