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Rudraksha Mala( Photo Credit : NEWS NATION)
Rudraksha Mala: रुद्राक्ष की माला सदियों से हिंदू धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. भगवान शिव के प्रतीक के रूप में यह माला न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी माने जाते हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसके कई लाभ हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रुद्राक्ष की माला में हमेशा 108 मोती ही क्यों होते हैं. क्या इसके पीछे कोई मान्यताएं हैं या फिर कोई कारण है जिसके कारण रुद्राक्ष की माला में सिर्फ 108 मोती ही होते हैं. अगर आपके दिमाग में यह प्रश्न है और आप इसका उत्तर जानना चाह रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर रुद्राक्ष की माला में 108 मोती ही क्यों होते हैं, आखिर क्या है इसके पीछे की धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं.
108 मोती का रहस्य
आपको बता दें कि संख्या 108 को ब्रह्मांड में विभिन्न पहलुओं का प्रतीक माना जाता है. इसे 10 इंद्रियों, 8 अंगों और 9 नाड़ियों का प्रतीक भी माना जाता है. इसके साथ ही यह संख्या पूर्णता का अंक माना जाता है. इससे मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति में सहायता मिलती है.
पूर्णता का अंक
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि 108 पूर्णता का अंक है. ऐसा माना जाता है कि अगर हम किसी भी मंत्र का जाप 108 बार करते हैं तो उससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. 108 बार मंत्रों का जाप करने से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही 108 ग्रहों, 12 राशियों और 27 नक्षत्रों का योग भी 108 होता है. इससे हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है.
मन शांत और एकाग्र होता है
आपको बता दें कि मानव शरीर में 108 मुख्य तंत्रिकाएं होती हैं. 108 मोतियों वाली माला पहनने से इन तंत्रिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे मन शांत और एकाग्र होता है. साथ ही अगर वैज्ञानिकों की मानें तो 108 बार मंत्र जाप करने से मानसिक स्थिति मजबूत होती है. इससे हमारा तनाव कम होता है.
रुद्राक्ष की माला पहनने का सही तरीका क्या है?
रुद्राक्ष की माला धारण करने से पहले माला को गंगाजल या दूध में 24 घंटे के लिए भिगो दें. फिर, धूप में सुखाकर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें. ज्योतिष के अनुसार, रुद्राक्ष की माला को दाएं हाथ में पहनना शुभ माना जाता है. इसके साथ ही माला को गले में या कलाई पर पहना जा सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau