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Remedies For Happiness ( Photo Credit : social media )
Remedies For Happiness : रोजमर्रा के जीवन में कुछ उपायों को सच्चे मन से करने से इसका सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में देखा जा सकता है. वास्तु शास्त्र में छोटी-छोटी चीजों के बारे में खासकर बताया गया है. जिसे अगर व्यक्ति ठीक ढंग से करता है, तो उसके जीवन में आ रही सभी परेशानियां अपने आप ही दूर होने लग जाती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में वास्तु शास्त्र से संबंधित कुछ उपायों के बारे में बताएंगे, जिसे करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो सकती है.
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1. रोज सुबह उठकर अपनी हथेलियां को अवश्य देखें
रोज सुबह-सुबह जब आप उठें, तो सबसे पहले अपने हाथों को देखें. उसके बाद चेहरे पर तीन बार हाथ फेरें. क्योंकि हथेली के ऊपरी भाग में मां लक्ष्मी, बीच में सरस्वती और नीचे के भाग में भगवान विष्णु का स्थान होता है. इसलिए रोज सुबह उठते ही अपनी हथेली तो देखने से भाग्य चमक उठता है.
2. पहली रोटी गाय को खिलाएं
जब आप रोटी बनाते हैं, तो रोटी में से पहली रोटी गाय को दें. वहीं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गाय में सभी देवताओं का निवास माना गया है. अगर आप रोज गाय को रोटी देते हैं, तो इससे सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती है.
3. चीटियों को आटा डालें
अगर आप चाहते हैं, कि आपकी किस्मत चमक जाए, तो रोज चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा दें. इससे आपको सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी और आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.
4. सभी देवी-देवताओं को फूलों से सजाएं
घर में स्थापित देवी-देवताओं को रोज फूलों से सजाएं और इस बात का खास ध्यान रखें कि फूल ताजे होने चाहिए. सच्चे मन से देवी-देवता को फूल अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो जाती है.
5. सुबह झाड़ू-पोंछा लगाएं
घर को हमेशा साफ-सुथरा रखें और रोज झाड़ू-पोंछा लगाएं. सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोंछा नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और धन हानि होने की संभावना रहती है.
6. रोजाना इन मंत्रों का जाप अवश्य करें
-ॐ ऐं श्रीं भाग्योदय कुरु कुरु श्रीं ऐं फट्
- साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें.
मां लक्ष्मी की करें आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥