Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियां हुई शुरू, कर्मचारियों के लिए रखा खास ड्रेस कोड

Prayagraj Maha Kumbh 2025: इस साल महाकुंभ के लिए रेलवे ने खास तैयारियां की हैं. 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के प्रयागराज आने का अनुमान लगाया जा रहा है. महाकुंभ का धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं

Prayagraj Maha Kumbh 2025: इस साल महाकुंभ के लिए रेलवे ने खास तैयारियां की हैं. 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के प्रयागराज आने का अनुमान लगाया जा रहा है. महाकुंभ का धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं

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Inna Khosla
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religious importance of Prayagraj Maha Kumbh 2025

Prayagraj Maha Kumbh 2025

Prayagraj Maha Kumbh 2025: भारत में महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित किया जाता है. गंगा, यमुना, सरस्वती और गोदावरी नदियों के संगम स्थान पर इसका आयोजन होता है जहां लोग स्नान करने आते हैं. इस स्नान का हिंदू धार्मिक में बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस स्नान से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाकुंभ भारत का सबसे पवित्र और विशाल धार्मिक समारोह में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से एकत्रित होकर स्नान, पूजा, और ध्यान में भाग लेते हैं. अगले साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भव्य महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है, जो जनवरी 2025 से शुरू होगा. इस ऐतिहासिक आयोजन में लगभग 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे ने कई विशेष इंतजाम किए हैं, जिनमें कर्मचारियों के लिए अलग-अलग रंगों की सेफ्टी जैकेट शामिल हैं.

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कर्मचारियों के लिए खास ड्रेस कोड

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में तैनात रेलवे कर्मचारियों को विभागवार अलग-अलग रंग की जैकेट उपलब्ध कराई जाएंगी. महाकुंभ के दौरान प्रयागराज मंडल के सभी स्टेशनों और यात्री आश्रय स्थलों पर तैनात कर्मचारियों को उनके विभागों के अनुसार रंगीन जैकेटें पहनाई जाएंगी. उदाहरण के तौर पर, ट्रेन परिचालन विभाग के कर्मचारियों की जैकेट ग्रीनिश येलो रंग की होगी, वाणिज्य विभाग के लिए फ्लोरेसिन ग्रीन, आरपीएफ कर्मचारियों के लिए ऑरेंज, मेडिकल कर्मचारियों के लिए पिंक, कैरेज और वैगन विभाग के लिए डार्क ग्रीन, इलेक्ट्रिकल विभाग के लिए व्हाइट और रैपिड एक्शन टीम के लिए पर्पल रंग की जैकेट तय की गई है. रेलवे स्टेशन के बाहर रेलवे कर्मियों की इस विशेष ड्रेस कोड की जानकारी देने वाले होर्डिंग्स लगाए जाएंगे, ताकि श्रद्धालु आसानी से संबंधित विभाग के कर्मचारी तक पहुंच सकें. रेलवे का यह कदम न केवल कुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि कर्मचारियों के बीच आपसी तालमेल में भी मददगार साबित होगा.

पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यता

महाकुंभ का उल्लेख पौराणिक कथाओं में अमृत मंथन से जोड़ा गया है. ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला, तो देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए संघर्ष हुआ. इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अमृत को देवताओं के बीच बांटने का प्रयास किया, और अमृत की कुछ बूंदें चार जगहों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक पर गिर गईं. इसी मान्यता के आधार पर इन चार स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के समय में संगम या पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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