Ramadan 2021: देशभर में शुरू हुआ माह-ए-रमजान, जानें रोजा का महत्व

मस्जिदों में तरावीह होती है जिसमें इमाम महीने भर में दिनों पूरा कुरान शरीफ पढ़ते हुए नमाज पढ़ाते हैं. रमजान के पाक महीने में रोजेदार झूठ बोलने से बचते हैं. मुस्लिम रमजान के दौरान जकात गरीबों में पैसा बांटते हैं.

मस्जिदों में तरावीह होती है जिसमें इमाम महीने भर में दिनों पूरा कुरान शरीफ पढ़ते हुए नमाज पढ़ाते हैं. रमजान के पाक महीने में रोजेदार झूठ बोलने से बचते हैं. मुस्लिम रमजान के दौरान जकात गरीबों में पैसा बांटते हैं.

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Vineeta Mandal
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Ramadan 2021( Photo Credit : (फाइल फोटो))

आज यानि कि बुधवार से रमजान (Ramzan 2021) का पाक महीना शुरू हो रहा है. भारत में मंगलवार को चांद दिखा, जिसके बाद पूरे देश में माहे रमजान की शुरुआत हो गई है. हर मुसलमान की जिंदगी में रमजान के महीने की खास अहमियत होती है, क्योंकि कहा जाता है कि इस महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं. रमजान के महीने में की गई इबादतों का सवाब दूसरे महीनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा मिलता है. इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को मुस्लिम धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. इस्लाम में इसे बेहद पाक महीना माना जाता है. 

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इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं, तरावीह की नमाज और कुरआन शरीफ का पाठ करते हैं. जकात और दान-पुण्य करने पर भी सवाब मिलता है. मुस्लिम लोग रमजान के दौरान दुनियादारी से हटकर सिर्फ खुदा की इबादत करते हैं. पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत करते हैं. रोजा रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज माना जाता हैं.

मस्जिदों में तरावीह होती है जिसमें इमाम महीने भर में दिनों पूरा कुरान शरीफ पढ़ते हुए नमाज पढ़ाते हैं. रमजान के पाक महीने में रोजेदार झूठ बोलने से बचते हैं. मुस्लिम रमजान के दौरान जकात गरीबों में पैसा बांटते हैं.

रोजे के दौरान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही नियम नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोज़ा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें. इसके साथ ही इस बात का भी ध्‍यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हो. इस्लाम में बताया गया है कि रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं. सभी दुआएं कुबूल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं. इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है. सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है. सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है.

Source : News Nation Bureau

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