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Raksha Bandhan 2020: आज है रक्षाबंधन का त्यौहार, बहनें बांधेंगी भाईयों की कलाई पर राखी

आज पूरे देश में भाई-बहन का प्यार भरा त्यौहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2020) मनाया जा रहा है. हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्योहार में बहनें अपने भाई को राखीं बांधती हैं और बदले में भाई उनकी ताउम्र रक्षा करने का वचन देता है.

Updated on: 03 Aug 2020, 08:26 AM

नई दिल्ली:

आज पूरे देश में भाई-बहन का प्यार भरा त्यौहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2020) मनाया जा रहा है. हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्यौहार में बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम के डोर से बनी राखी को बांधती हैं और बदले में भाई उनकी ताउम्र रक्षा करने का वचन देता है. राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि बहन का विश्वास होता है कि उसका भाई ऐसा ही ताउम्र साथ रहेगा.

रक्षासूत्र (राखी) लाल, पीला और सफेद तीन धागों का होना चाहिए. लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए. रक्षासूत्र में चन्दन लगा दें तो और उत्‍तम माना जाता है. रक्षा सूत्र न होने पर कलावा भी बांध सकते हैं. रक्षासूत्र को कम से कम एक पक्ष तक कलाई पर बांधे रखना चाहिए. अपने आप खुल जाए तो इसे सुरक्षित रख लें और बाद में इसे बहते जल में प्रवाह दें.

इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 12 घंटे का है. यानी रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इस साल राखी खास इसलिए भी है कियों 3 अगस्त को ही श्रावस मास का आखिरी सोमवार है. ऐसे में इसका महत्व कई गुना ज्यादा बढ़ गया है.

राखी के दिन बहन अपने भाईयों को तिलक भी लगाती हैं. इसके साथ ही तिलक पर चावल लगाने का भी रिवाज हैं. शास्त्रों में कुमकुम के तिलक और चावल का अत्याधिक महत्व हैं. यह तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है. तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है. यह स्थान छठी इंद्री का है. इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के इस स्थान पर तिलक के माध्यम से दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है.

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कहते हैं चावल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. शास्त्रों के मुताबिक, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है. कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है. चावल से हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है.