karva chauth : 11 साल बाद बन रहे राजयोग, जानें कैसे मिलेगा फायदा

इस बार करवा चौथ (karva chauth) पर बहुत ही शानदार योग बन रहे हैं. जानकारों के अनुसार सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग के अलावा राजयोग भी बन रहा है. एक साथ इन तीन शुभ योग के कारण इस बार करवा चौथ (karva chauth) की पूजा अत्यंत ही शुभ मुहूर्त में होगी.

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vinay mishra
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karva chauth : 11 साल बाद बन रहे राजयोग, जानें कैसे मिलेगा फायदा

karva chauth 2018 (फाइल फोटो)

इस बार करवा चौथ (karva chauth) पर बहुत ही शानदार योग बन रहे हैं. जानकारों के अनुसार सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग के अलावा राजयोग भी बन रहा है. एक साथ इन तीन शुभ योग के कारण इस बार करवा चौथ (karva chauth) की पूजा अत्यंत ही शुभ मुहूर्त में होगी. इससे पहले 2007 में करवाचौथ पर राजयोग बना था. महिलाएं इस बार करवा चौथ (karva chauth) की पूजा 27 अक्‍टूबर को करेंगी.

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करवा चौथ (karva chauth) के शुभ मुहूर्त
-करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 5:40 से 6:47 तक
-करवा चौथ चंद्रोदय समय : शाम 7 बजकर 55 मिनट

और पढ़ें : पहली बार करवा चौथ का व्रत करने जा रही हैं तो इन बातों का रखें ध्‍यान

जानें छलनी का महत्‍व

करवा चौथ (Karwa Chauth) के व्रत में छलनी का काफी महत्व होता है. इस दिन पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती है. करवा चौथ (karva chauth) की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी में से देखकर पूरा करती हैं. शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दिया रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं. इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकर व्रत पूरा करवाते हैं.

ये है पौराणिक कथा
छलनी को लेकर एक पौराणिक कथा के मुताबिक एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थी. बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ (karva chauth) का व्रत रखा था. रात के समय जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया. लेकिन बहन ने कहा - "भाई अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्ध्‍य देकर भोजन करूंगी." बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई.

इसके बाद भाइयों ने दूर कहीं एक दिया रखा और बहन के पास छलनी ले जाकर उसे प्रकाश दिखाते हुए कहा कि - बहन चांद निकल आया है. अर्ध्‍य देकर भोजन कर लो. इस प्रकार छल से उसका व्रत भंग हुआ और पति बहुत बीमार हुआ. इसीलिए ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो तभी छलनी में ही दीपक रख चांद को देखने की प्रथा शुरू हुई.

Source : News Nation Bureau

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