Radha Asthami 2025: राधा अष्टमी कब मनाई जाएगी, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Radha Asthami 2025: भगवान श्री कृष्ण का नाम हमेशा राधा जी के साथ जुड़ा रहता है. हमेशा पहले कृष्ण जन्माष्टमी आती है और उसके बाद राधा अष्टमी आती है, जो राधा जी के जन्मोत्सव का दिन होता है.

Radha Asthami 2025: भगवान श्री कृष्ण का नाम हमेशा राधा जी के साथ जुड़ा रहता है. हमेशा पहले कृष्ण जन्माष्टमी आती है और उसके बाद राधा अष्टमी आती है, जो राधा जी के जन्मोत्सव का दिन होता है.

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Nidhi Sharma
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Radha Asthami 2025

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Radha Asthami 2025:  भादों पक्ष की दोनों ही अष्टमी तिथि बहुत ज्यादा खास होती है, क्योंकि कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर जहां श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था वहीं शुक्ल पक्ष के आठवां दिन राधा जी ने अवतरण दिवस रूप में मनाया जाता है. इस दिन श्री राधा रानी की पूजा की जाती है और उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से भक्तों को राधा रानी की कृपा प्राप्त होती है और राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस खास दिन राधा जी की पूजा-आराधना, व्रत, भजन-कीर्तन और उपासना करने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं. राधा अष्टमी राधा रानी के जन्म का उत्सव है, जिन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और भगवान कृष्ण की प्रियसी के रूप में पूजा जाता है. इस राधा जयंती भी कहते हैं.

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राधा अष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 30 अगस्त 2025 को रात 10 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 1 सितंबर 2025 सुबह 12.57 तक है. सुबह 11.05 - दोपहर 1.38 राधा अष्टमी के दिन भक्त व्रत का पालन करते हैं. देवी राधा की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है. इसकी अवधि 2 घंटे 33 मिनट है. 

कैसे मनाते हैं राधा अष्टमी ?

राधा अष्टमी पर आपको शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर 11 दीए जरूर जलाएं चाहिए. इससे देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है और आपके घर में लक्ष्मी जी निवास करती हैं. राधा अष्टमी पर राधा रानी को सुगंधित फूल, चुनरी अर्पित करें और राधा चालीसा का पाठ करें. मान्यता है इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य मिलता है. साथ ही प्रेम विवाह में आ रही अड़चने खत्म होती है.

इस्कॉन मंदिरों में विशेष पूजा 

राधा अष्टमी के दिन इस्कॉन मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन होता है. राधा-कृष्ण की मूर्तियों को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और फूलों से सजाया जाता है. भक्त राधा-कृष्ण के प्रेम के गीत गाते हैं और 56 प्रकार के छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं. इससे कान्हा प्रसन्न होते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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