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Radha Ashtami 2025: राधा अष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण की प्रेम स्वरूपा श्री राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. खासकर ब्रजभूमि, मथुरा और वृंदावन जैसे तीर्थस्थलों पर इस दिन विशेष उत्सव और झांकियों का आयोजन होता है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, कीर्तन-भजन करते हैं और राधा रानी की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. राधा अष्टमी के दिन पूजा-पाठ और व्रत के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी माना गया है. अगर आप सही तरीके से पूजा पाठ नहीं करते हैं तो राधा रानी से प्रसन्न नहीं होंगी.
करें ये काम
राधा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करें. स्नान के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े पहनें ताकि मन और शरीर दोनों पवित्र रहें. तभी व्रत और पूजा का संकल्प लें.
पूरे दिन ब्रह्मचर्य नियम का पालन करना अनिवार्य माना जाता है. इसका मतलब है कि आप न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी संयमित और शुद्ध रहें.
इस दिन राधा रानी को केवल ताजी और पवित्र चीज़ें जैसे ताजे फल, दूध, दूध से बने प्रसाद, फूल, इत्यादि ही भोग के रूप में लगाएं. पुरानी या अर्धपकी हुई चीज़ें अर्पित न करें.
पूजा के बाद राधा अष्टमी व्रत की कथा का पाठ या श्रवण करें. इससे व्रत की महिमा और धार्मिकता बढ़ती है और मन को आध्यात्मिक शांति मिलती है.
व्रत खोलने का समय खास होता है. शुभ मुहूर्त में ही व्रत का पारण करना चाहिए ताकि पूजा का फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो. जल्दबाजी न करें और समय का सम्मान करें.
व्रत खोलते समय उसी प्रसाद को ग्रहण करें, जिसे पूजा में राधा रानी को भोग लगाया गया था. इससे पूजन की पूर्णता बनी रहती है.
व्रत खोलने से पहले जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या धन दान करें. इसके अलावा गौ सेवा भी बहुत शुभ मानी जाती है. इससे पुण्य बढ़ता है और व्रत की सफलता सुनिश्चित होती है.
पारण करने के बाद घर के बुजुर्गों या वरिष्ठों का आशीर्वाद लेना आवश्यक होता है. उनका आशीर्वाद आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है.
ना करें ये काम
पूजा में जो भी भोग राधा रानी को अर्पित किया जाना है, वह पूरी तरह शुद्ध और बिना किसी स्पर्श के होना चाहिए. भोग बनाने के बाद उसे चखना या किसी भी तरह से झूठा करना वर्जित है.
व्रत के दिन दिन में सोना अनुचित माना गया है. इससे व्रत की तपस्या में बाधा आती है और इसका फल कम हो सकता है.
इस शुभ दिन शरीर की कटिंग जैसे बाल, नाखून या दाढ़ी काटना वर्जित होता है. इसे अशुद्धता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इससे बचना चाहिए.
इस दिन काले या बहुत गहरे रंग के कपड़े पहनने से परहेज़ करें. राधा रानी को लाल और पीले रंग अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए इन्हीं रंगों के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
पूजा करते समय महिलाओं को बाल बांधकर रखने चाहिए और सिर को चुनरी से ढकना चाहिए. यह श्रद्धा और शुद्धता का प्रतीक होता है. पुरुषों को भी सिर पर रुमाल या कपड़ा रखना चाहिए.
राधा अष्टमी की तिथि के दौरान बाल धोना वर्जित माना जाता है. यदि बाल धोने की आवश्यकता हो तो यह कार्य अष्टमी शुरू होने से पहले कर लेना चाहिए.
पूजा का शुभ मुहूर्त
राधा अष्टमी पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त: 31 अगस्त, प्रातः 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक रहेगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)