Advertisment

राधा अष्टमी 2017: बरसाना में मनाई गई राधाष्टमी, जानें क्या है व्रत का महत्व

कहावत है कि जो भक्त राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखते है, उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का भी फल नहीं मिलता।

author-image
Sonam Kanojia
एडिट
New Update
राधा अष्टमी 2017: बरसाना में मनाई गई राधाष्टमी, जानें क्या है व्रत का महत्व

पूरे देश में आज मनाई जा रही है राधा अष्टमी (फाइल फोटो)

Advertisment

कहते हैं कि भगवान कृष्ण ने एक बात कही थी, 'राधा मेरी स्वामिनी.. मैं राधे का दास। जनम-जनम मोह दीजिए.. वृंदावन के पास।' यह पंक्ति इस बात पर मुहर लगाती है कि वह राधा रानी से बहुत प्रेम करते थे। वह राधा को खुद से भी ऊपर मानते थे।

हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिनों बाद राधा अष्टमी या राधाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन राधारानी का जन्म हुआ था और इस त्योहार को भी धूमधाम से मनाया जाता है। बरसाना समेत पूरे ब्रज में राधा अष्टमी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

ये भी पढ़ें: गणेश चतुर्थी 2017: जानें बप्पा को घर लाने का सही समय और पूजा विधि

ऐसे करें पूजा

कहावत है कि जो भक्त राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखते है, उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का भी फल नहीं मिलता। राधाष्टमी के दिन राधा जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करें और फिर उनका श्रृंगार करें। धूप, दीप, पुष्प अर्पित कर पाठ करें। ग्रंथों के अनुसार इस दिन राधा के साथ कृष्ण जी की भी पूजा करनी चाहिए।

यहां हुआ था राधा जी का जन्म

राधा जी का जन्म गोकुल के पास रावलग्राम में बृषभान के घर पर हुआ था। राधा के पिता ने उनके जन्म के कुछ दिनों बाद वृंदावन में व्रषभानुपुरा नाम का गांव बसाया, जिसे आज बरसाना के नाम से जाना जाता है।

व्रत का महत्व

पुराणों के मुताबिक, राधाजन्माष्टमी कथा सुनने से भक्त धनी, सर्वगुण संपन्न और सुखी रहता है। राधाजी का मंत्र जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए राधाजी का व्रत जरूर रखें, कृष्ण जी ने स्वयं से उन्हें ऊपर का दर्जा दिया है।

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र: नागपुर-मुंबई दुरंतो एक्सप्रेस टिटवाला के पास पटरी से उतरी

Source : News Nation Bureau

radha ashtami 2017
Advertisment
Advertisment
Advertisment