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Putrada Ekadashi 2021: संतान की चाह होगी पूर्ण, इस मुहूर्त में करें पुत्रदा एकादशी की पूजा

24 जनवरी को Putrada Ekadashi 2021 मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है. मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है.

Updated on: 19 Jan 2021, 11:34 AM

नई दिल्ली:

24 जनवरी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2021 ) मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है. मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है. जो कोई भी पूरे विधि-विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है उसे योग्य और बुद्धिमान संतान का आशीर्वाद मिलता है.  इसके साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.  पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. 

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पुत्रदा एकादशी मुहूर्त

  • व्रत प्रारंभ: 23 जनवरी, शनिवार, रात 8:56 बजे.
  • व्रत समाप्ति: 24 जनवरी, रविवार, रात 10: 57  बजे.
  • पारण का समय: 25 जनवरी, सोमवार, सुबह 7:13 से 9:21 बजे तक

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि-

पुत्रदा एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद घर या बाहर के मंदिर में भगवान विष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें.  इसके बाद लक्ष्मी पति विष्णु के सामने घी या तेल का दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें.  मूर्ति के सामने धूप, दीप और भोग अर्पित करें. पंचामृत का भोग लगाना काफी शुभकारी माना जाता है.  पूरी विधि के साथ पूजा पुत्रदा एकादशी की पूजा करें.  पति-पत्नी दोनों मिलकर भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें. 

पुत्रदा एकादशी की कथा-

धार्मिक कथाओं के मुताबिक,  भद्रावती राज्य में सुकेतुमान नाम का राजा राज्य करता था. उसकी पत्नी शैव्या थी. राजा के पास सबकुछ था, सिर्फ संतान नहीं थी. ऐसे में राजा और रानी उदास और चिंतित रहा करते थे. राजा के मन में पिंडदान की चिंता सताने लगी. ऐसे में एक दिन राजा ने दुखी होकर अपने प्राण लेने का मन बना लिया, हालांकि पाप के डर से उसने यह विचार त्याग दिया. राजा का एक दिन मन राजपाठ में नहीं लग रहा था, जिसके कारण वह जंगल की ओर चला गया.

राजा को जंगल में पक्षी और जानवर दिखाई दिए. राजा के मन में बुरे विचार आने लगे. इसके बाद राजा दुखी होकर एक तालाब किनारे बैठ गए. तालाब के किनारे ऋषि मुनियों के आश्रम बने हुए थे. राजा आश्रम में गए और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए. उन्होंने कहा कि राजन आप अपनी इच्छा बताए. राजा ने अपने मन की चिंता मुनियों को बताई. राजा की चिंता सुनकर मुनि ने कहा कि एक पुत्रदा एकादशी है. मुनियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा. राजा वे उसी दिन से इस व्रत को रखा और द्वादशी को इसका विधि-विधान से पारण किया. इसके फल स्वरूप रानी ने कुछ दिनों बाद गर्भ धारण किया और नौ माह बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई.