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भाई दूज का शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि, जानें सब अभी के अभी

आज भाई दूज है. हिंदू रीलिजन में तो भाई दूज की स्पेशल इंपोर्टेंस है. राखी के फेस्टिवल की तरह ही भाई दूज पर बहनें भाइयों को तिलक करती हैं. उनकी लंबी उम्र के लिए प्रेयर करती है. वहीं, भाई भी अपना प्यार दिखाते हुए बहनों को गिफ्ट्स देते है.

Updated on: 06 Nov 2021, 10:22 AM

नई दिल्ली:

आज भाई दूज है. हिंदू रीलिजन में तो भाई दूज की स्पेशल इंपोर्टेंस है. राखी के फेस्टिवल की तरह ही भाई दूज पर बहनें भाइयों को तिलक करती हैं. उनकी लंबी उम्र के लिए प्रेयर करती है. वहीं, भाई भी अपना प्यार दिखाते हुए बहनों को गिफ्ट्स देते है. इस दिन भाई बहनों के घर जाते है. भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. तो, चलिए इस दिन पर आपको शुभ मुहूर्त और कुछ दूसरी जरूरी चीजों के बारे में भी बता देते है. 

                                         

शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज भाई दूज शनिवार के दिन है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक है. शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 11 मिनट की है.

                                         

भाई दूज से जुड़ी कुछ मान्यताएं भी है. माना जाता है कि इस दिन भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं. उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा वगैराह हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कहती हैं जैसे 'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े'. इस दिन शाम के टाइम पर बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं. इस टाइम ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है. ये भी माना जाता है कि बहनें भाई की उम्र के लिए जो दुआ मांग रही हैं. उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा.

                                         

आखिरी में आपको ये भी बता देते है कि भाई दूज के दिन पूजा करने का सही तरीका क्या है. इस दिन सबसे पहले सुबह नहा धोकर साफ कपड़े पहनने चाहिए. उसके बाद भगवान की पूजा करनी चाहिए. मुहूर्त से पहले भाई के तिलक के लिए थाल सजा लनी चाहिए. फिर उस थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत और सुपारी रखी जाती है. फिर पिसे हुए चावल के आटे या घोल से चौक बनाया जाता है. शुभ मुहूर्त में इस चौक पर भाई को बिठाया जाता है. इसके बाद भाई को तिलक लगाते है. तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने दिए जाते है और उनकी आरती उतारी जाती है. तिलक और आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाकर अपने हाथों से बना खाना खिलाया जाता है. जिसके बाद भाई की आरती उतारी जाती है और फिर बहनों को मिलता है गिफ्ट जिसके इंतजार में वो रहती है.