पन्ना: प्रणामी संप्रदाय के हजारों सुंदरसाथ प्राणनाथ की तपोभूमि की लगाएंगे परिक्रमा
हमारे देश में हर धर्म और हर जाति के लोगों की अलग-अलग परंपराएं, मान्यताएं मौजूद है. ऐसी ही एक अनूठी परंपरा पन्ना में लगभग 397 साल से चली आ रही है. यहां पर एक श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है, जो कि भगवान कृष्ण प्रणामी धर्म के लिए विशेष तीर्थ स्थल माना जाता है.
नई दिल्ली:
हमारे देश में हर धर्म और हर जाति के लोगों की अलग-अलग परंपराएं, मान्यताएं मौजूद है. ऐसी ही एक अनूठी परंपरा पन्ना में लगभग 397 साल से चली आ रही है. यहां पर एक श्री प्राणनाथ जी का मंदिर स्थित है, जो कि भगवान कृष्ण प्रणामी धर्म के लिए विशेष तीर्थ स्थल माना जाता है. इसी प्रणामी संप्रदाय के अनुयाई और श्रद्धालु शरद पूर्णिमा के ठीक 1 माह बाद देश के कोने कोने से यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही किलकिला नदी के किनारे व पहाड़ियों के बीचों बीच बसे समूचे पन्ना नगर के चारों तरफ परिक्रमा लगाकर भगवान श्री कृष्ण के वह स्वरूप को खोजते हैं. जो कि शरद पूर्णिमा की रासलीला में भगवान अंतर्धान हो गए हैं.
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देश के विभिन्न प्रांतों सहित विदेश से आए हुए श्रद्धालु सर्वप्रथम पन्ना नगर के धाम मोहल्ला स्थित श्री प्राणनाथ जी मंदिर,श्री गुम्मट जी मंदिर, श्री बांग्ला जी मंदिर, श्री सद्गुरु श्रीधनी दास मंदिर, श्री देव चंद जी मंदिर,श्री बाईजू राज (राधिका मंदिर) मैं पूरी श्रद्धा के साथ शीश नवाते हुए धूमधाम से परिक्रमा शुरू करते हैं. यहां भक्तों का मानना है कि पृथ्वी परिक्रमा से उनको एक सुखद अनुभूति एवं शांति मिलती है.
पवित्र नगरी पन्ना की पवित्र धारा में हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से आए सुंदरसाथ प्रात 5 बजे से चारों मंदिरों की परिक्रमा के साथ पृथ्वी परिक्रमा का शुभारंभ करते हैं विश्वकल्याण व सांप्रदायिक सद्भाव की इस अनूठी मिसाल को प्रणामी संप्रदाय के संरक्षक प्रणेता महामति श्री प्राणनाथ जी ने लगभग 397 वर्ष पहले इस पृथ्वी परिक्रमा की शुरुआत की जो आज भी अनवरत रूप से जारी है.
यहां मुंबई अहमदाबाद सूरत जयपुर दिल्ली व नेपाल से भी श्रद्धालु पहुंचे हैं प्रणामी संप्रदाय की इन श्रद्धालुओं को यहां सुंदरसाथ कहा जाता है. प्रणामी धर्म के पवित्र तीर्थ इस पन्ना की पवित्र धारा में आए श्रद्धालु व स्थानीय जनों द्वारा प्रातः 5 बजे से पृथ्वी परिक्रमा लगाने का सिलसिला जारी है. यह परिक्रमा तब तक चलेगा जब तक समूचे नगर का एक चक्कर पूरा नहीं हो जाता. इसकी शुरुआत प्राणनाथ मंदिर से प्रारंभ होकर श्रद्धालुओं की विशाल टूल नदी नालों को पार करती हुई मदार साहब धर्म सागर अघोर होकर या विशाल कारवां खेजरा
मंदिर पहुंचेगा उसके समाप्ति श्री प्राणनाथ मंदिर में ही होगी.
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इस परिक्रमा की दूरी करीब 25 किलोमीटर के आसपास होती है पहाड़ियों चट्टानों झाड़ियों से गुजरते हुए किसी को भी यहां पर दर्द महसूस नहीं होता. प्राणनाथ प्यारे की जयकारों के साथ सफर कब प्रारंभ किया और कब समाप्त हो जाएगा या पता भी नहीं चलता. इन सब भक्तों का मानना है कि पवित्र नगरी धाम पन्ना में ही इनके भगवान श्री जी छुपे हुए हैं तभी या बरसों से अनवरत चली आ रही परंपरा का निर्वहन करने प्रणामी संप्रदाय के लोग यहां पहुंचते हैं.
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