/newsnation/media/post_attachments/images/2024/04/17/feature-image575-62.jpg)
hindu nav varsh pradosh vrat 2024( Photo Credit : NEWS NATION)
Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण दिन है जो देवों के देव महादेव और देवी पार्वती को समर्पित होता है. पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव - माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो भी भक्त शिव जी और देवी पार्वती की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं तो उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जातक के जीवन में खुशहाली, सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है. वहीं इस बार प्रदोष व्रत पर शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा यह हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत होगा क्योंकि 9 अप्रैल से हिंदू नववर्ष प्रारंभ हुआ था. तो फिर आइए जानते हैं हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा. साथ ही जानिए प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.
हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल शनिवार को रात 10 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 21 अप्रैल दिन रविवार को आधी रात 1 बजकर 11 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को है. 21 अप्रैल को रविवार पड़ने की वजह से यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा.
रवि प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं शुभ संयोग
ज्योतिष के अनुसार इस बार रवि प्रदोष व्रत पर 3 शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग बनने जा रहा है. ऐसे में इस दिन का और भी अधिक महत्व बढ़ गया है. माना जाता है कि इस समय किया गया कार्य जरूर सफल होता है.
रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
इस बार आपको रवि प्रदोष व्रत पर पूजा के लिए 2 घंटे से ज्यादा का समय मिलेगा. इस दिन पूजा के लिए सही शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 02 मिनट तक है.
रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि
रवि प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें उसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहनें. फिर व्रत का संकल्प लें. फिर शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें. अब पूरे दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से थोड़े देर पहले दोबारा स्नान करें. फिर सफेद कपड़े धारण करके स्वच्छ जल या गंगा जल से पूजास्थल को साफ करें. अब उतर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके विधि-विधान से पूजा करें और मंत्रों का जाप करें.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau