वर्ष 2022 का पहला प्रदोष व्रत, जीवन में सुख-समृद्धि के लिए है लाभकारी
शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है.कहते हैं कि प्रदोष व्रत भगवान शिव के अत्यंत प्रिय है.
highlights
- वर्ष 2022 का पहला प्रदोष व्रत अगले शनिवार को पड़ने वाला है
- व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं
- त्रयोदशी तिथि 15 जनवरी सुबह शुरू होगी
नई दिल्ली:
वर्ष 2022 का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) अगले शनिवार को पड़ने वाला है. हर माह के दोनों पक्षों में पड़ने वाली त्रयोदशी को भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव (Pradosh Vrat Lord Shiva Puja) को सबसे अधिक प्रिय है. इस बार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 जनवरी शनिवार के दिन होगी. इस दिन शिव भक्त विधि-विधान के साथ भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा-अर्चना (Maa Parvati Puja) करते हैं. इसे शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) के नाम से जाना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, इसके साथ सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव (Lord Shiva Puja) के साथ-साथ शनिदेव का भी आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैं कि शनि प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जनवरी, शनिवार 2022 के दिन है. त्रयोदशी तिथि 15 जनवरी सुबह शुरू होगी. 16 जनवरी प्रातः 3 बजकर 27 मिनट पर ये समाप्त होगी. इस दौरान व्रती भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं. गौरतलब है कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल होती है. पूजन का सही समय शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 26 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना से दिन की शुरुआत करें. इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्घ्य दें. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ शिव चालीसा का पाठ करें. फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत चढ़ाएं. अंत में आरती करें. दिनभर उपवास रखें. शाम को पूजा-आरती के बाद फलाहार करें. अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलें.
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