Ekadashi Shraddha 2024: आज है एकादशी श्राद्ध तिथि, जानें तर्पण का समय और सही विधि

Ekadashi Shraddha 2024: 27 सितंबर 2024 को एकादशी श्राद्ध तिथि है. तर्पण का समय क्या है और किस तरह इस श्राद्ध कर्म को किया जाता है आइए जानते हैं. 

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Inna Khosla
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Ekadashi Shraddha 2024

Ekadashi Shraddha 2024

Pitru Paksha Shradh Day 11: पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एकादशी पर श्राद्ध और तर्पण का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों को विशेष लाभ मिलता है. आज एकादशी श्राद्ध है जिसे ग्यारस श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. एकादशी श्राद्ध वो लोग करते हैं जिनके परिवार के मृतक सदस्यों की उन दिन मृत्यु हुई हो. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं. कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त में ही इस दिन श्राद्ध कर्म सम्पन्न किया जाता है. अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिये. इस साल एकादशी तिथि सितम्बर 27, 2024 को 01:20 पी एम बजे से प्रारंभ होगी जो सितम्बर 28, 2024 को 02:49 पी एम बजे तक रहेगी. श्राद्ध अनुष्ठान का समय क्या है और तर्पण विधि क्या है आइए जानते हैं. 

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एकादशी श्राद्ध का अनुष्ठान समय (Ekadashi Shraddha Ritual Time)

एकादशी श्राद्ध शुक्रवार, सितम्बर 27, 2024 को ही किया जाएगा. 

  • कुतुप मूहूर्त - 11:48 ए एम से 12:36 पी एम
    अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट
  • रौहिण मूहूर्त - 12:36 पी एम से 01:24 पी एम
    अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट
  • अपराह्न काल - 01:24 पी एम से 03:48 पी एम
    अवधि - 02 घण्टे 24 मिनट

एकादशी श्राद्ध तर्पण विधि

तर्पण एक संस्कार है जिसमें जल और तिल को अपने पूर्वजों को अर्पित किया जाता है. सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं. एक साफ जगह पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करें और फिर सबसे पहले गणेश जी और भगवान विष्णु को प्रणाम करें. अपने पूर्वजों के नाम लेकर उन्हें याद करें और फिर एक पात्र में जल लेकर उसमें कुछ तिल मिला दें. इस जल से आपको मंत्र जाप करते हुए तर्पण करना है. 

ओम नमो भगवते वासुदेवाय.

पितृ देवताय नमः.

जल और तिल को अपने हाथों से लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके धीरे-धीरे जमीन पर गिराएं. तर्पण के बाद ब्राह्मणों को दान दें. एकादशी के दिन श्राद्ध करने की विधि सामान्य श्राद्ध विधि के समान ही होती है. इसमें पितरों के लिए भोजन पकाया जाता है और उन्हें पिंडदान किया जाता है. तर्पण विधि को सही तरीके से करने के लिए आप किसी पंडित की मदद भी ले सकते हैं. इससे पितरों को शांति मिलती है. उनका आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. जीवन में सुख-समृद्धि चाहते हैं तो आप पितरों की तिथि पर हर साल उनके नाम का श्राद्ध कर्म जरूर करें. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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