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Pitru Paksha 2020: पितृ पक्ष में तर्पण के लिए चावल का ही क्यों बनाया जाता है पिंड?

2 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha) आरंभ हो चुका है. पितृ पक्ष 17 सितंबर तक रहेगा. कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पितर धरती लोक में आकर अपने घर के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं. पितर की मृत्‍यु वाली तिथि पर तर्पण किया जाता है.

Updated on: 04 Sep 2020, 03:45 PM

नई दिल्ली:

2 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha) आरंभ हो चुका है. पितृ पक्ष 17 सितंबर तक रहेगा. कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पितर धरती लोक में आकर अपने घर के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं. पितर की मृत्‍यु वाली तिथि पर तर्पण किया जाता है. जिसे मृत्‍यु वाली तिथि याद नहीं रहती, वे अमावस्‍या के दिन तर्पण कर सकते हैं. पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है. क्या आपको पता है कि पितृपक्ष में चावल का ही पिंड क्यों बनाया जाता है?

किसी भी वस्तु के गोल आकार को पिंड कहते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, धरती को भी एक पिंड माना गया है. सनातन धर्म में साकार स्वरूप की पूजा का अलग महत्‍व है. इसलिए पितृपक्ष में भी पितरों को पिंड मानकर यानी पंच तत्व में व्याप्त मानकर (साकार स्‍वरूप) पिंडदान किया जाता है.

पितृ पक्ष में चावल पकाकर उसके ऊपर तिल, घी, शहद और दूध यानी पंचगव्‍य मिलाकर एक पिंड बनाया जाता है. बताया जाता है कि पिंड चंद्रमा के माध्यम से पितरों को मिलता है. जानकारों के अनुसार, पिंड को बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उनका नवग्रहों से संबंध होता है, जिससे पिंडदान करने वाले को भी शुभ लाभ मिलता है.

पिंडदान के समय सफेद फूल का इस्तेमाल करते हैं. सफेद रंग सात्विकता का प्रतीक है. क्‍योंकि आत्मा का कोई रंग नहीं होता. इसलिए पिंडदान में सफेद रंग के फूल का इस्‍तेमाल किया जाता है. साथ ही सफेद चंदन का भी इस्‍तेमाल करते हैं. सफेद रंग का संबंध चंद्रमा से होता है, जिनके जरिए पितरों को पिंडदान मिलता है.