Pitru Paksha 2019: 13 या 14, जानें कब से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, भूल कर भी न करें ये काम
शास्त्रों की मानें तो पितृ पक्ष के दौरान कई नियमों का पालन करना होता है. कई ऐसे कार्य हैं जो पितृ पक्ष के दौरान निषेध होते हैं. कहते हैं अगर पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का पालन न किया जाए तो व्यक्ति को तमाम दुख और परेशानियों से गुजरना पड़ता है
नई दिल्ली:
आज यानी 13 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए 15 दिनों तक श्राद्ध किए जाते हैं. इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 28 सितंबर तक चलेंगे. हालांकि कुछ लोगों में 13 या 14 सितंबर को लेकर असमंजस है. दरअसल जो लोग पूर्णिमा का श्राद्ध मानते हैं उनके लिए 13 सितंबर से ही श्राद्ध शुरू होंगे और जो लोग पूर्णिमा का श्राद्ध नहीं मानते उनके लिए पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरू होंगे.
शास्त्रों की मानें तो पितृ पक्ष के दौरान कई नियमों का पालन करना होता है. कई ऐसे कार्य हैं जो पितृ पक्ष के दौरान निषेध होते हैं. कहते हैं अगर पितृपक्ष के दौरान इन नियमों का पालन न किया जाए तो व्यक्ति को तमाम दुख और परेशानियों से गुजरना पड़ता है. आइए जानते हैं क्या है वो कार्य और नियम
- पितृपक्ष के दौरान मसूर, धतूरा, अलसी और मदार, कुलथी और मदार की दाल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- इस दौरान शरीर पर साबुन या तेल का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए
- पितृ पक्ष के दौरान कोई नई चीज जैसे कपड़े या अन्य कोई चीज नहीं खरीदनी चाहिए
- इस दौरान कोई भी शुभ काम जैसे शादी, गृहप्रवेश ना करें. ना कुछ बुरा करें और ना सोचें.
ऐसे करें श्राद्ध
पितृपक्ष में प्रत्येक दिन स्नान करे और इसके बाद पितरों को जल, अर्घ्य दें. इस दौरान तिल, कुश और जौ को जरूर रखें. इसके साथ ही जो श्राद्ध तिथि हो उस दिन पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करें. इस दिन घर में उस शख्स की पसंदीदा भोजन बनवाए. इसके बाद पहले गाय, कौवा-पक्षी और कुत्ते को भोजन निकाल दे. सारे व्यंजन में से थोड़ा-थोड़ा निकालकर एक पात्र में लेकर उसे किसी सड़क, चौराहे पर रख दें.
इस मंत्र का करें जाप
इसके बाद किसी बर्तन में दूध, जल, तिल, पुष्प लें. अब हाथ में कुश लें और तिल के साथ तर्पण करें. इस दौरान 'ॐ पितृदेवताभ्यो नमः' का जाप करें.
किस दिन कौन सा श्राद्ध?
इस साल 13 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा. इसके बाद 14 सितंबर को प्रतिपदा, 15 को द्वितीया का श्राद्ध होगा. 16 को कोई श्राद्ध नहीं होगा क्योंकि इस दिन मध्याह्न तिथि नहीं मिली है. फिर इसके बाद 17 को तृतीया, 18 को चतुर्थी, 19 को पंचमी, 20 को षष्ठी, 21 को सप्तमी, 22 को अष्टमी, 23 को मातृ नवमी, 24 को दशमी और एकादशी दोनों तिथि का श्राद्ध होगा. 25 को द्वादशी, 26 को त्रयोदशी, 27 को चतुर्दशी, 28 को अमावस्या का श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा.
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